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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 100 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-101

विषय - "भारत/हिन्दुस्तान/इंडिया"

आयोजन की अवधि- 08 मार्च 2019, दिन शुक्रवार से 09 मार्च 2019, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 08 मार्च 2019, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-101में आपका हार्दिक स्वागत है।

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत बधाई और आभार स्वीकार करें सादर 

ग़ज़ल

हमेशा से फ़िदा तुझ पर मेरा जी जान है भारत।

मेरा सर तेरी इज़्ज़त के लिये क़ुर्बान है भारत।।

तेरी पहचान ही तो बस मेरी पहचान है भारत।
कोई इन्डिया कहे मेरा तु हिन्दुस्तान है भारत।।

हज़ारों साल से अम्नो-अमां है तेरे दामन में।
मैं तेरी गोद में सो जाऊं ये अरमान है भारत।।

तेरे रंगों में रंग जाऊं तेरी ख़ुश्बू में घुल जाऊं।
परिन्दा हूँ मगर मेरा तु-ही स्थान है भारत।।

मेरे सरकार भी तेरी हवा महसूस करते थे।
फ़क़त तेरी हिफ़ाज़त ही मेरा इमान है भारत।।

ये कैसा है सवाल आसिफ़,वतन तुझको भी प्यारा है।
जो है सम्मान मां का,वो तेरा सम्मान है भारत।।


मौलिक/अप्रकाशित

आ. भाई आसिफ जैदी जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए ढेरों बधाईयाँ।

आदरणीय ल.धा.मुसाफ़िर जी बहुत बहुत शुक्रिया करम नवाज़िश मोहतरम 

 अपने अज़ीज़ वतन के प्रति बहुत बढ़िया आरजू, अरमान ज़ाहिर करती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहिब।

जनाब उस्मानी साहब आदाब बहुत बहुत शुक्रिया नवाज़िश मोहतरम

आदरणीय आसिफ जैदी जी, प्रदत्त विषय के अनुरूप ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। सादर।

जनाब मिथिलेश जी,आप इस ग़ज़ल से सरसरी अंदाज़ में क्यों गुज़र गए?

मोहतरम जनाब मंच संचालक महोदय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी नज़रे इनायत का ममनून हूँ मोहतरम

आदरणीय आसिफ जैदी साहब बहुत बेहतरीन गजल लिखा आपने दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए

आदरणीय जनाब डॉ छोटेलाल सिंह जी बहुत बहुत धन्यावाद आभार सादर 

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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