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होली के दोहे :

हिलमिल होली खेलिए, सब अपनों के संग।
रिश्तों में रस घोलिए, मिटा घृणा के रंग।। १

रंगों की बौछार में, बोले मन के तार।
अधर तटों को दीजिए, साजन अपना प्यार।। २

होली के हुड़दंग में , सिर चढ़ बोले भाँग।
करें ठिठोली मुर्गियाँ, मुर्गे देते बाँग।।३

तन-मन भीगे रंग में, मचली मन की प्यास।
अवगुंठन में नैन से, नैन रचाएं रास। ४

चाहे जितना कीजिए, होली पर हुड़दंग।
लग कर गले मिटाइये, नफरत के सब रंग।।५

गंधहीन रिश्ते हुए ,रंगहीन सब रंग।
रंगों के इस खेल में, हर मन है बेरंग।। ६

रंगों की अठखेलियाँ, तन पर करतीं वार।
अनुरोधों में हो गयी , प्रतिरोधों की हार।।७

इंद्रधनुष के रंग से, खुशियाँ मिलीं अपार।  
हर रिश्ते को मिल गया, अपनों का संसार।। ८

रंगों में सपने जड़े, हर सपने में रंग ।
अभिलाषा मुखरित हुई ,दिवा स्वप्न के संग।।९

अधरों पर है खेलती, एक मधुर मुस्कान।
तन पर रंगों ने रची, रिश्तों की पहचान।। १०

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on April 4, 2019 at 4:27pm

आद0  babitagupta  जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2019 at 4:27pm

आदरणीय Hariom Shrivastava जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by babitagupta on March 30, 2019 at 12:15am

 गंधहीन रिश्ते हुये, बढिया पंक्ति,  बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सुशील सरजी।

Comment by Hariom Shrivastava on March 29, 2019 at 12:50pm

वाहह,वाहहह,लाजवाब दोहे

Comment by Sushil Sarna on March 26, 2019 at 6:55pm


आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का दिल से आभार। सर आपके द्वारा इंगित टंकण त्रुटि और तकनीकी त्रुटि के लिए दिल से आभार। इसे मैं अभी संशोधित करता हूँ। चूक के लिए क्षमा मांगता हूँ सर। सादर .... कृपया अपना स्नेह बनाएं रखें।

Comment by Samar kabeer on March 26, 2019 at 2:37pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,होली पर अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

' मुर्गे देंगे बाँग'

इसमें 'देंगे' को "देते" कर लें ।

'इंद्रधनुषी रंगों से'

विषम चरण के अंत में 212 चाहिए?

Comment by Sushil Sarna on March 23, 2019 at 4:04pm
आदरणीय शेख़ उस्मानी साहिब, आदाब .... सृजन के आत्मीय भावों से अलंकृत करने का दिल से आभार। आपका स्नेह मेरी अमूल्य निधि है। आपके इस प्रेम का तहे दिल से शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 22, 2019 at 8:05pm

आदाब। वाह। रंगोत्सव पर रंगों , जीवन-रंगों और रिश्तों के भाव-रंगों को यथार्थ के शब्द-रंग देती बेहतरीन दोहावली हेतु हार्दिक बधाई और आभार हमें यूं समसामयिक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु आदरणीय सुशील सरना साहिब।

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