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sahee kaha rakesh jee -
पैसा जन्नत में किसी काम नही आयेगा,
हरेक सौदे पे कमिशन क्यों फिर खाई जाये ...........
badhaee is ghazal ke liye har sher kaamyaab !!
बहुत अच्छी लाइनें...
''पैसा जन्नत में किसी काम नही आयेगा,
हरेक सौदे पे कमिशन क्यों फिर खाई जाये ...........
विश्व गुरु जबकि रहा दुनियां में मेरा हिन्दोस्तां,
प्यार ओ तहजीब की अलख फिर से जगाई जाए........''
पूरी गजल ही असल में बढ़िया है...लेखन पर बधाई आपको.
//साथ जीने की कसम खाना बड़ा मुश्किल है,
साथ मरने की कसम खा लो जो खाई जाए..........//
वाह वाह वाह - बहुत सुन्दर ख्याल ! बधाई कबूल कीजिए !
प्यार सेहरा में रहे या की गुलिस्ताँ में रहे,
प्यार की तान ही सुननी है सुनाई जाए........
लाजवाब मतला
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