आदरणीय साथिओ,
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सादर धन्यवाद आदरणीय तेज वीर सिंह जी |
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय चंद्रेश भैया | आपको रचना पसंद आई सार्थक हुआ यह प्रयास, जो कमियाँ रह गयी हैं उसपर पुनः काम काम करुँगी | सादर|
बहुत बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर, वार्तालाप भी बढ़िया है. अंत और बेहतर किया जा सकता है, बहरहाल बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए आ कल्पना भट्ट जी
सादर धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी | आपका सुझाव सर आँखों पर| इस रचना पर पुनः विचार करुँगी | सादर|
आदाब। एक बढ़िया शैली में बढ़िया रचना। आदरणीय डॉ. छतलानी साहिब और जनाब विनय कुमार साहिब की टिप्पणियों पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।
नमस्ते आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी | आपको इस लघुकथा की शैली बढ़िया लगी, धन्यवाद आपका| जी अवश्य आ छात्लानी जी और आ. विनय कुमार सिंह जी की बातों पर गौर करुँगी | सादर|
आदरणीया KALPANA BHATT ('रौनक़') जी बहुत बहुत बधाई स्वीकार किजिए अच्छी लघुकथा अच्छा विषय सादर।
सादर आभार आदरणीय आसिफ ज़ैदी जी |
मर्मभेदी तरीके से घरेलू हिंसा को उठाया आपने। बहुत उम्दा।
अच्छी लघुकथा हुई है। मध्य पर और मेहनत करें और मेरी बधाई स्वीकार करें
फिरौती
***
डॉक्टर इकबाल का खोया हुआ बच्चा गोरखपुर के पास एक रेलवे स्टेशन पर पाया गया है,यह खबर पूरे सूबे में जंगल की आग की भांति फैल गई।पहले उसके अपहृत होने की बात इसी तरह आम हुई थी।लोग थर्रा गए थे कि कब और कहां किसका बच्चा गायब हो जाए,कोई नहीं जानता ।
गांव के लड़के पुलिस काका से सवाल करते-
' काका, ई सब कइसे हुआ होगा हो? मामला त मुख्यमंत्री तक गईल रहे, बाकिर कुछ भइल ना।'
'हेहेहे! तब ही त काम बनल बा हो।'
' उ कईसे?'
' आरे उहे त कहली त छुट्टी से राजिंदर एस पी को बुलाया गया। उसको काम जिम्मा किया गया।'
'उसे ही क्यों?'
' काहे कि उसे किसी का डर- भय नहीं है। पूरा परिवार खलास हो चुका है।अपराधी सब ओकरा से थर थर कांपेला।
' आरे बाबा!'
' तब ही त उधर डॉक्टर का बेटा यू पी में मिला,तो फिरौती वाले सरगना का पोता छपरा स्टेशन पर खेलता पाया गया।'
' एं?'
'और क्या?खेल आईसही होला हो बबुआ, जई सन को तई सन।'
' ई रजीनर त खूब हौवे काका।'
' हं हो। अपन घर परिवार नईखे, त और लोग के घर संसार संवार रहल हउवे।'
' बरकत मिले उनका।' समवेत स्वर गूंज गया।
मौलिक व अप्र का शित
हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।बेहतरीन लघुकथा।
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