आदरणीय साथिओ,
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इस लघुकथा में दो तरह की औलादों का ज़िक्र है. पहली वो ही जो पढ़ी-लिखी होकर भी मंदिर-मस्जिद विवाद में उलझी हुई है, और दूसरी वह जो अपने रोज़ी-रोटी के मसलों से दो-चार है, मजे की बात ये है कि इसे संविधान पर पूरा विश्वास है. ऐसे ही लोग किसी भी लोकतांत्रिक देश की शक्ति होते हैं. बहरहाल, इस विषयानुकूल लघुकथा हेतु बधाई प्रेषित है भाई उस्मानी जी.
आदाब। रचना पर त्वरित प्रतिक्रिया के साथ इसके मर्म पर मार्गदर्शक टिप्पणी और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक आभार आदरणीय मंच संचालक महोदय श्री योगराज प्रभाकर साहिब।
बढ़िया विचारोत्तेजक रचना विषय पर, बहुत बहुत बधाई आ शेख शहज़ाद साहब
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन लघुकथा।आपने एक ज्वल्लंत समस्या को केंद्रित करते हुए बेहतरीन संदेश प्रद लघुकथा प्रस्तुत की है।आपका समकालीन विषयों को लेकर लिखना मुझे अति प्रिय है। ऐसी लघुकथा समाज को एक नयी सोच और खुली विचार धारा पर मनन करने को मजबूर करती है।
आदाब। आपकी टिप्पणियाँ मुझे सतत लिखते रहने को प्रेरित करती हैं। पहली बार किसी ने मेरे समसामयिक विषयों पर यूं लिखने को यूं पसंद किया है। दरअसल अचानक ही कुछ सूझ जाता है, तो यूं तुरंत लिख कर अपनी अभिरुचि का अभ्यास कर लेता हूँ। सर्वकालिक रचनायें लिखना सीखना चाहता हूँ। प्रयासरत हूँ। मेरी इस रचना पर ऐसी विस्तृत टिप्पणी व मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद जनाब तेजवीर सिंह साहिब।
आदाब। वर्ष के अंतिम व्यस्त दिवस पर रचना पर समय देकर मुझे यूँ प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद जनाब विनय कुमार साहिब। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को।
वर्तमान की समस्या पर ध्यानाकर्षित करती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी।
आदाब रचना आपको पसंद आई। मिहनत सफ़ल हुई। हार्दिक धन्यवाद मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।
आदरणीय शेख उस्मानी जी समसामयिक विषय पर लिखी विचारोत्तेजक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई
आदाब। टीवी समाचार देखकर अचानक सूझी यह रचना आपको अच्छी लगी। मेरी सहभागिता सार्थक हुई। हार्दिक धन्यवाद जनाब ओमप्रकाश क्षत्रीय 'प्रकाश' साहिब।
आम आदमी का मुख्य मुद्दा रोजी रोटी है सियासती बहस और मीडीया प्रेरित मुद्दों से उसका कुछ लेना देना नहीं है। वो शांती चाहता हैं संविधान पर चलकर। हार्दिक बधाई सामयिक मुद्दे को उठाती हुई इस रचना पर आदरणीय उस्मानी जी
आदाब। मेरी इस रचना के कथ्य पर सार्थक रौशनी डालती और मुझे प्रोत्साहित करती इस विस्तृत टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा प्रतिभा जोशी पाण्डेय साहिबा।
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