For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pari M Shlok
  • Female
  • Panipat Haryana
  • India
Share on Facebook MySpace

Pari M Shlok's Friends

  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Hari Prakash Dubey
  • Shyam Narain Verma

Pari M Shlok's Groups

 

Pari M Shlok's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Panipat Haryana
Native Place
Gonda Uttar Pradesh
Profession
Private Job
About me
लेखन में रूचि ... लेखन से प्रेम ..

Pari M Shlok's Blog

बुझ रहा है हौसला मौला

२१२ २२१२ २२

बुझ रहा है हौसला मौला

राह कोई तो दिखा मौला



नाम पे उसके छलकते हैं

आँख दरिया है' क्या मौला



जैसे पढ़ते हैं किताबों को

काश पढ़ते चेहरा मौला



शाख पर हम घर बनाते गर

हौसला होता जवाँ मौला



जेब खाली और मैं मुज़रिम

जिंदगी है गुमशुदा मौला



रात आधी और नींद नहीं

है उसी का सब किया मौला



है उसे कोई फ़िक्र ही कब

ख़्वाब देकर चल दिया मौला



मन अभी जो बादलों में था

वो ज़मी पे आ गिरा… Continue

Posted on July 9, 2015 at 3:05pm — 17 Comments

मैं तकती हूँ राह मगर क्यूँ शाम नहीं आता © परी ऍम. 'श्लोक'

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २



उस हरजाई का कोई पैग़ाम नहीं आता

मैं तकती हूँ राह मगर क्यूँ शाम नहीं आता



करती है लाखों बातें आँखें उसकी मुझसे

जाने क्यूँ लब पे ही मेरा नाम नहीं आता



होगी कुछ सच्चाई तो कि धुआँ सा उठता है

यूँ ही तो सर पर कोई इल्ज़ाम नहीं आता



तुमसे उल्फ़त ने ही ये हाल किया है अपना

दिल की किस्मत में वरना शमशान नहीं आता



दूर खड़ा साहिल पर बेहिस तकता है मुझको

हो मुश्किल चाहे कुछ भी वो काम नहीं आता



ए इश्क़ तेरी… Continue

Posted on July 4, 2015 at 4:19pm — 24 Comments

तू वहाँ मशरूफ़ मैं यहाँ तन्हा

2 1 2 2 2 1 2 1 2 2 2

तू वहाँ मशरूफ़ मैं यहाँ तन्हा

ये ज़मी तनहा वो' आसमाँ तन्हा



अब तेरी यादें यहाँ मचलती हैं

रह गया टूटा हुआ मकाँ तन्हा



हमने हर मौसम के' रंग देखें हैं

हम कभी तन्हा कभी समाँ तन्हा



चल दिए अरमां जला के' तिनकें सा

देर तक उठता रहा धुआँ तन्हा



हैं पड़ी ज़ंज़ीर दिल के पैरों में

हम अगर जाएँ तो अब कहाँ तन्हा



सोच कर ये रूह काँप जाती है

दिल में बस्ती बसे मकाँ तन्हा



जब न बंधन हो न ही रस्म… Continue

Posted on July 2, 2015 at 9:05am — 20 Comments

वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में ( © परी ऍम. 'श्लोक' )

१ २ २ २ १ २ १ २ २ २
पुकारा तुम करोगे लोगों में
मुझे ना पा सकोगे लोगों में

चले जायेंगे जां तेरी लेकर
बने बुत से जियोगे लोगों में

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
बेहिस चलते रहोगे लोगों में

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में

मिलेगी फिर नहीं कभी जानाँ
वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में

© परी ऍम. 'श्लोक'

"मौलिक व अप्रकाशित"

Posted on July 1, 2015 at 12:16pm — 22 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service