साथियों,
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एक और शानदार पेशकश के लिए मुबारकबाद जनाब समर साहब एक बात जाननी थी ...."आफ़ियत है इसी में मेरी समर" इस मिसरे मे एब ए तनाफुर है क्या??
जनाब नादिर साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत शुक्रिया ।
//एक बात जाननी थी ...."आफ़ियत है इसी में मेरी समर" इस मिसरे मे एब ए तनाफुर है क्या??//
इसमें ऐब-ए-तनाफ़ुर नहीं है ।
परम आदरणीय समर साहब जानकारी देने के लिए शुक्रिया .....
आदरणीय समर साहब । दिली दाद क़ुबूल करें इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए
ये भी ऐज़ाज़ कम नहीं यारो
पास दिल के रखा गया है मुझे। 100 मुशायरा इसी का सुबूत है आपको सपर्पित है ।
कोई मेरे सिवा न था उसमें
खोल कर दिल दिखा गया है मुझे वाह वाह क्या कहने
बहुत खूब
गिरह के शेर के लिए कहना चाहेंगे
खुद के मिसरे पे ख़ुद गिरह, वल्लाह
तेरा अंदाज़ भा गया है मुझें।
बहुत बहुत बधाई । आप सलामत रहे । हमारा साथ बना रहे आमीन ।
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,इतनी ख़ूबसूरत टिप्पणी,सुख़न नवाज़ी और आपकी महब्बत को सलाम, बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
दूसरी ग़ज़ल भी लाजवाब हुई है मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब, तहेदिल से मुबारकबाद
जनाब शिज्जु भाई आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
याद फिर कोई आ गया है मुझे
ख़ूँ के आँसू रुला गया है मुझे वल्लाह कमाल है , कमाल है ।
ये भी ऐज़ाज़ कम नहीं यारो
पास दिल के रखा गया है मुझे बहुुुत उम्ददा शे'र ।
दूसरी धमाकेदार ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब समर साहिबआदाब,
मतले से मक्ते तक मुरस्सा ग़ज़ल बहुत बहुत मुबारकबाद आपको,,,
जनाब अफ़रोज़ साहिब आदाब, सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब समर साहिब आदाब,
बेहतरीन अश्आर मुरस्सा तख़्लीक
मुबारकबाद आपको,,
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