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आपकी दूसरी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय मनन कुमार जी.
ग़ज़्ल भी कोई शब्द है क्या ? मुझे जानकारी नहीं है.
शुभातिशुभ
आपका आभार आदरणीय सौरभ जी।'गज्ल' शब्द को मैं प्रतिस्थापित करूँगा,सादर।
आदरणीय संचालक महोदय,आग्रह है कि मतला की उला के 'गज्ल' को 'शेर' करें तथा चौथे शेर की सानी के 'आइना-सा' को 'आइना वह' करें,तो बड़ी मेहरबानी होगी।
यथा निवेदित तथा संशोधित
बहुत बहुत आभार सर।
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी ..ख़ूबसूरत शेर कहे हैं ...मेरी तरफ से ढेर सारी दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|
आपका आभार आदरणीय राणा प्रताप जी।
आदरणीय मनन जी, इस बार कुछ जल्दबाज़ी हो गयी, कहन भी तनिक कमजोर पड़ गया, इस प्रयास हेतु बधाई आपको।
आभारी हूँ आदरणीय बागी जी।
बहुत खूब | अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय मनन कुमार जी|
जनाब दंडपानि साहिब,
अच्छी कोशिश है मुबारकबाद स्वीकारें,
२रे शे'र में तका़बुले रदीफ़ है ,इसी शे'र के सानी मिसरे में लफ़्ज़ "सीखा"
को "सिखा" लिखेॆ,
४था शे'र बह्र में नहीं है,
आख़री शे'र भी बह्र नें नहीं है,,
आ. दण्डपाणी जी,
आप को और अभ्यास की आवश्यकता है...
ढेरों ग़ज़लें पढ़ें जिस से ग़ज़ल आप में समा सके
सहभागिता के लिए बधाई
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