साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....
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भाई सुरेन्द्र जी आपकी मेहनत दिनों दिन रंग ला रही गजल में आपकी काबिलियत झलक रही बहुत बहुत बधाई
आद0 डॉ छोटेलाल भैया सादर प्रणाम। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बधाई का शुक्रिया
बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी। सभी अशआर ख़ूबसूरत हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
आद0 महेंद्र कुमार जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बधाई स्वीकार कीजिये
प्यार करना सिखा गया है मुझे
कोई दिल में बसा गया है मुझे।। बहुत ही सहजता से कहा गया गंभीर शे'र ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थित और बेहतरीन प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ाने के लिए सादर आभार
आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। शुक्रिया आपका
भाई सुरेंद्र नाथ सिंह जी, उम्दा ग़ज़ल कही है। शेअर-दर-शेअर दाद और मुबारकबाद स्वीकार करें।
आद0 भाई योगराज प्रभाकर जी सादर अभिवादन। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन का हृदय तल से आभार
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह ’कुशक्षत्रप’ जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. बहुत-बहुत बधाइयाँ.
और, भाई, आपने क्या खूब ग़िरह लगाई है ! -
खूब मिसरा 'समर कबीर' का है
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"।।.. वाह-वाह !
शुभ-शुभ
आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए पुरस्कार है। बहुत बहुत आभार आपका
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