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जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , आपके मश्वरे और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
मेरी कलम मेरी हमसफ़र--- आदरणीय तस्दीक जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहिब , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
आ.तस्दिक जी बहुत बधाइयाँ इस सुंदर कथा हेतु।
मोहतरमा नैना आरती साहिबा , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरमा राहिला साहिबा , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान जी,बहुत शानदार प्रस्तुति है हार्दिक बधाई आपको। सादर
जनाब हरि प्रकाश साहिब , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
वाह वाह, बहुत खूबसूरत तरीके से साथी की परिभाषा को उकेरा और उभारा है आ० तसदीक़ अहमद साहिबI हमारे बेशतर साथी जहाँ साथी शब्द के शाब्दिक मायनों में ही उलझे रहे वहीँ आपने इस शब्द की आत्मा को समझा है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम होगीI मेरी ढेरों ढेर बधाई हाज़िर है, स्वीकार करेंI
एक एतराज़, आप विराम चिन्ह के रूप में हमेश स्लैश (/) ही क्यों बरतते हैं, कृपया सही विराम चिन्ह (I) बरता करेंI
मोहतरम जनाब योगराज साहिब , आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी| सर जी आप तो इस फ़न के महागुरू हैं । आपके खूबसूरत कमेंट से हौसला और बढ़ जाता है। .......... आपके क़ीमती मश्वरे का टाइप करते वक़्त ख़याल रखूँगा | ... शुक्रिया
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