आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत बहुत आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल जी सर, आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा, आपकी उत्साह बढ़ाती टिप्पणी हेतु मैं हृदय से आभारी हूँ|
लघुकथा के इस प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मेरे मनोबल को बढ़ाती हुई टिप्पणी हेतु बहुत-बहुत आभार भाई सुनील वर्मा जी|
मानव मूल्यों के ह्रास को दर्शित करती ,जबरदस्त तंज के साथ उत्तम दर्जे की कथा हेतु बधाई स्वीकार करें आदरणीय चंद्रेश जी ।
लघुकथा के इस प्रयास पर स्नेहसिक्त टिप्पणी द्वारा मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आपका सादर आभारी हूँ आदरणीय पवन जैन जी सर|
लघुकथा का यह प्रयास आपको ठीक लगा, और अपनी टिप्पणी द्वारा आपने मेरा उत्साहवर्धन किया, इस हेतु सादर आभार आदरणीय मदनलाल श्रीमाली जी सर|
बहुत ही आला दर्जे की लघुकथा कही है भाई चन्द्रेश जीI बदलते हुए मूल्यों का बेहद गज़ब चित्रण हुआ हैI बहुत बहुत बधाई स्वीकार करेंI एक छोटा सा सुझाव:
//चित्र में तीन बंदरों, जिनमें से एक बुरा नहीं देखता था, दूसरा बुरा नहीं कहता था और तीसरा बुरा नहीं सुनता था,// क्या इसकी जगह बापू के तीन बन्दर कहने से भी बात न बन जाती?
रचना को आशीर्वाद देने हेतु सादर आभार आदरणीय सर| आपका सुझाव सदैव ही सर-आँखों पर है, रचना कहते समय मैं असमंजस में था कि गाँधी जी का नाम देना उचित रहेगा या नहीं, फिर दिया ही नहीं, और देखिये, आपने इस असमंजस को दूर ही कर दिया| नमन आपको सर| संकलन के समय इसे, इस अनुसार बदलने का आग्रह रहेगा|
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब, बहुत बढ़िया विचार है, हमारी शायद कहीं फ्रीक्वेंसी मैच होती है, चौथे बंदर "बुरा नहीं करूंगा.." वाले कथानक पर पहले काम किया है| हालाँकि यह पुरानी बात है, वह रचना लघुकथा के मानदंडों पर कितनी खरी उतरती है यह फिर से देखना होगा| 'गांधीजी के बंदर' और 'किसी चित्र की व्याख्या', इन दोनों विषयों पर रचना कहने में मुझे बहुत अच्छा लगता है| पूर्व में कही गयी रचना को refine कर के आपके समक्ष हाज़िर अवश्य करूंगा| आपके विचार पर एक विचार मुझे यह भी सूझ रहा है कि बंदर तीन ही रहें, लेकिन उनको समय के अनुसार परिभाषित किया जाये (जैसे मस्तिष्क पर पहली अंगुली रख कर कहे बुरा नहीं सोचूंगा, दूसरा हाथ में एक नोट लेकर उसे आँखों पर रखते हुए कहे बुरा नहीं कमाऊंगा और तीसरा हाथ जोड़ कर कहे सबकी इज्ज़त करूंगा ( खास तौर पर माता-पिता-बड़ों और महिलाओं की) |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |