आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत बढ़िया और प्रभावी रचना विषय पर, लोग तो हर चीज में कुछ न कुछ तमाशा ही ढूंढते हैं| कथा का अंत प्रभावी है, बधाई आपको
प्रयास का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी
मोहतरमा प्रतिभा साहिबा , प्रदत्त विषय को दर्शाती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हार्दिक आभार आपका आदरणीय तस्दीक जी
आपको प्रयास अच्छा लगा ,मेरा लिखना सार्थक हुआ ,प्रयास के अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया अर्चना जी
प्रयास के अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी
हा हा हा.. सारा रोमांच फुस्स हो गया ! अपनी तमाम सीमाओं के बावज़ूद रोचक प्रस्तुति हुई है, आदरणीया प्रतिभा जी.
शुभेच्छाएँ
बहुत बढ़िया रचना कही है आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी, हालाँकि यह लग रहा था कि अंत में कुछ ऐसा ही बदलाव आने वाला है कि पुलिस वाले दोस्त या कुछ ऐसे ही निकलेंगे, लेकिन पाँव कटने वाली बात वास्तव में दिमाग को झकझोर गयी| सादर बधाई आपको इस रचना के सृजन के लिये|
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