For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-131

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 131वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब जिगर  मुरादाबादी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"तेरा सितम भी तेरी इनायत से कम नहीं "

     221      2121       1221       212 

     मफ़ऊलु     फ़ाइलातु     मफ़ाईलु    फ़ाइलुन

बह्र:  मज़ारे  मुसम्मन अख़रब  मक्फूफ़ महज़ूफ़

रदीफ़ :-  नहीं
काफिया :- अम( कम, दम ,सितम, करम, अलम, कदम, नम आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 मई दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 29 मई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 मई दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9036

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय विनय जी, आप ग़ज़ल तक आये और आपने सराहना की।आपका हृदयतल से आभार।

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी नमस्कार। बहुत ख़ूब ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें।

आदरणीया रचना जी नमस्कार। आपका बहुत बहुत आभार ।

आदरणीय दण्डपाणि जी बहुत बहुत शुक्रियः हौसला बढ़ाने हेतु।

किसका पता बताऊँ जहाँ ऐसा ग़म नहीं
हर शहर परेशां है, कहाँ पर सितम नहीं


क्या बात है तेरी अदाओं में, किसे पता
तेरा सितम भी तेरी इनायत से कम नहीं


लूटा सभी ने ऐसी मुसीबत में, क्या कहें
किसपे करें भरोसा किसी में करम नहीं


हमने चुनी थी ऐसी ये सरकार किसलिए
लोगों की हिफाजत में बढ़ाये कदम नहीं


बेशर्म  हैं  ये  नेता, इन्हें  फिक्र  नहीं है
बस झूठ बोलना है कोई और दम नहीं

किसको कहें फरेबी विनय, अपने लोग हैं
लेकिन लिखे गलत वो हमारी कलम नहीं

जिनको दिया था हौसला रहने को बेफिकर
उनके दिमाग में भी है, तकलीफ कम नहीं


गुमराह करके जिनकी, जिंदगी बसर हुई
वो सबसे कह रहे हैं, किसी को भरम नहीं

मौलिक एवं अप्रकाशित

जनाब नाब विनय कुमार जी आदाब, तरही मुशाइर: में आपकी ग़ज़ल देख कर प्रसन्नता हुई ।

तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

बह्र,शिल्प,व्याकरण जैसी त्रुटियाँ का सुधार कर दिया है, देखें:-

किसका पता बताऊँ जहाँ ऐसा ग़म नहीं 
हर शह्र है परेशााँ कहाँ पर सितम नहीं


क्या बात है अदाओं में तेरी किसे पता 
''तेरा सितम भी तेरी इनायत से कम नहीं"


लूटा सभी ने ऐसी मुसीबत में, क्या कहें 
किस पर करें भरोसा किसी में करम नहीं


हमने चुनी थी ऐसी ये सरकार किसलिए 
लोगों की 

जो मदद में उठाये क़दन नहीं

बेशर्म हैं  ये  नेता इन्हें  फिक्र है कहाँ 
बस झूठ बोलने के सिवा इनमें दम 

नहीं

किसको कहें फ़रेबी 'विनय' अपने लोग हैं
लेकिन लिखे ग़लत वो हमारी क़लम नहीं

जिनको दिया था हौसला बेफ़िक्र वो रहें
उनके दिमाग़ में भी तो तकलीफ़ कम नहीं


गुमराह कर के जिंदगी जिनकी बसर हुई

वो सबसे कह रहे हैं, किसी को भरम नहीं

हमारी कोशिश को आपने पढ़ा और इस्लाह देकर इसमें सुधार किया, यह हमारी खुशनसीबी है आ समर कबीर साहब. इस बार का मिसरा ए तहर इतना शानदार था कि मैं कोशिश करने से खुद को रोक नहीं पाया. आपका बहुत बहुत आभार सर.

एक बच्चा मुस्कुराके, बड़ी बात कह गया
जल  रहे  हैं  चराग, लौ  उनमें  कम नहीं

ख्वाहिश है अपने वतन पे हो जाएंगे क़ुर्बान
बस  एक  उम्र  चाहिए, ज्यादा  जनम  नहीं.

ये दो और शेर बाद में समझ में आये, इनपर भी इस्लाह दीजियेगा

बच्चा वो मुस्कुराके बड़ी बात कह गया

जो भी चराग जल रहे लौ उन में कम नहीं

ख्वाहिश है अपने देश पे क़ुर्बान हम भी हों
बस  एक  उम्र  चाहिए, ज्यादा  जनम  नहीं.

'जनम' शब्द वैसे सही नहीं है -मूल शब्द जन्म है यह भी देखिएगा

बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, आपकी इस्लाह से ग़ज़ल और बेहतर हो गयी है

एक शैर तो जनाब धामी जी ने ठीक कर दिया है, दूसरा क़ाफ़िया 'जनम' ग़लत है, हटा दें ।

बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब, इसी तरह से मार्गदर्शन करते रहिये

इस्लाह के बाद गज़ल नायाब हो गई विनय जी को बधाई ...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service