आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी!आक्रोश और दुखी मन से हुंकारती स्त्री की मनोस्थिति का शानदार वर्णन करती बहुत सार्थक रचना!
प्रदत्त विषय के साथ पूर्णतया न्याय करती सफल सार्थक कथा हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय विनय कुमार जी
आ. विनय जी लघुकथा मे आक्रोश खुब उभर कर आया है बधाई आपको इस रचना के लिये
कैक्टस
बरामदे में लगे कैक्टस के पौधों को काटते देख रामलाल बोले, "बेटा इतने प्यार से लगाया था तुने। कहाँ-कहाँ से तो खोज कर लाया था दुर्लभ प्रजाति। अब क्यों काटकर फेंक रहा?? तू तो कहता था कि इन कैक्टस में सुंदर फूल उगते हैं? वो खूबसूरत फूल मैं भी देखना चाहता था।"
"हाँ बाबूजी, कहता था, पर फूल आने में समय लगता है परन्तु कांटे साथ-साथ ही रहते। आज नष्ट कर दूंगा इनको!"
"मगर क्यों बेटा?"
"क्योंकि बाबूजी, आपके पोते को इन कैक्टस के कांटो से चोट पहुँची है।"
"ओह, तब तो समाप्त ही कर दो! पर बेटा इसने अंदर तक जड़ पकड़ लिया है! ऊपर से काटने से कोई फायदा नही!"
"तो फिर क्या करूँ??"
"इसके लिए पूरी की पूरी मिट्टी बदलनी पड़ेंगी। और तो और इन्हें जहाँ कहीं भी फेंकोंगे ये वहीँ जड़ जमा लेंगी।"
"मतलब इनसे छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं?"
"है क्यों नहीं! बस धूप में तपा दो।"
मौलिक एवं अप्रकाशित
कैक्टस रूपी कांटो को फेंक कर नहीं बल्कि तपा कर उसकी प्रगति रोक ,प्राण विहीन कर के ही उन्मूलन संभव है .प्रतीकात्मक तरीके से आपने जीवन के खलिश के निर्मूलन के लिए भी सार्थक कथ्य दिया है जो अपूर्व बनी है आदरणीया सविता जी .आप भी ना बहिनी ,देर से आती हो मगर दुरुस्त होकर ही आती हो ! झोरा भर कर बहुते बधाई आपको ,स्वीकार कीजिएगा .
बहुत बहुत आभार दीदी ...सादर नमस्ते
कथ्य अच्छा है मगर तथ्य के बरक्स हैI अधिकतर केक्टस प्रजातियों के लिए धूप खुराक का काम करती है माननीया सविता मिश्रा जीI कैक्टस मूलत: रेगिस्तान में पैदा होने वाला बूटा हैI इसलिए इसके धूप से जल जाने का सवाल ही पैदा नहीं होताI
मिटटी रहित पौधा को धुप में तपाया जाए तो सर जी ,वो खत्म हो जाएगा !
बड़े भैया मिट्टी-बालू ,पानी कुछ न मिलेगा तो धूप में पड़ा पौधा सुख ही जायेगा न ....हम खुद ही उखाड़ ऐसे ही सुखते देखे हैं ....सादर नमस्ते भैया
बधाई स्वीकारें आदरणीय सवितामिश्रा जी |
शुक्रिया आपको पसंद आई
बहुत ही सुन्दर प्रतीकात्मक सन्देश देती हुई अत्यंत ही सुन्दर हुई है लघुकथा ...बधाई स्वीकारें!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |