आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आ.डा. विजय जी कूटनीतिक दृष्य को शाब्दिक करती आपकी बढिया प्रस्तुति के लिये बधाई आपको
अलग ही अंदाज़ की कथा पढने को मिली है | बहुत बढ़िया सर | बधाई कुबूल करें |
लघु कथा ---गुस्सा ( आक्रोश )
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आज फिर अखबार में पंद्रह दिन पहले वाली खबर----मेन पाइप लाइन टूटी ,दो दिन बाद पानी आएगा ----इतनी भीषड़ गर्मी में कूलर और नहाने के लिए कहाँ जब पीने के लिए ही पानी नहीं है । मोहल्ले वालों ने नगर विधायक की अगुआई में वाटर वर्क्स ऑफिस का घेराव कर दिया , महिलायें खाली मटके लेकर फोड़ने पहुँच गयीं । अचानक भीड़ ऑफिस की तरफ आती देख ऑफीसर जैन साहिब बाहर आगये।
भीड़ से एक आवाज़ आई -'' ऐसी गर्मी में बिना पानी के दो दिन कैसे काटेंगे ? ''
फिर एक और आवाज़ आई -'' रोज़ रोज़ पाइप लाइन क्यों टूटती है आप लोग पुख्ता इंतज़ाम क्यों नहीं करते ?''
पीछे से आवाज़ आई -'' जो लोग पाइप लाइन तोड़ कर पानी चोरी करते हैं उन्हें पकड़ा क्यों नहीं जाता ? ''
आक्रोश से भरी भीड़ और मौके की नज़ाक़त को देख कर जैन साहिब बोल पड़े -'' पानी की चोरी में सियासी लोग शामिल हैं , इनके आदमी चोरी का पानी इनके खेतों में ले जाते हैं , हम इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते ?
इतना सुनते ही आक्रोशित भीड़ से एक ही आवाज़ आई ---'', आप उन लोगों के नाम बताइए , जनता तो ज़रूर कुछ कर सकती है ''
हालात बेकाबू देख विधायक ने ऑफीसर की तरफ देखा और चुप चाप वहां से खिसक गए --------------
(मौलिक व अप्रकाशित )
वाह ! तस्दीक अहमद खान साहब , बहुत जानदार, शानदार और वजनदार बात कही है. बधाई आप को इस लघुकथा के लिए.
मोहतरम जनाब ओम प्रकाश साहिब , लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया
मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया
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