आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।अफ़सर शाही की मनमानी और कूटनीति को बखूबी दर्शाया है।
कर्मचारियों की विरासत का बखूबी बयान करती लघुकथा के लिए बधाई .
अफ़सरसाही की परम्परा को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करती एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें आ
(विरासत)
‘संवासिनी’
“माता पिता की अचानक प्लेन क्रेश में मौत हो जाने पर १८ वर्षीय सोनम मानो टूट ही गई|
कई दिनों तक न खाना न पीना कोई धीरज बंधाता तो अपलक उसको देखती रहती आँखों में आँसू का समंदर मानो सहरा में तब्दील हो गया हो| माँ बाप की इकलौती संतान दुनिया में बिलकुल अकेली रह गई थी|
विरासत में करोड़ों की संपत्ति की वारिस से कोई सहानुभूति भी दिखाता तो उसे सिर्फ ये महसूस होता कि वो सिर्फ उनकी संपत्ति की खातिर प्रेम भाव दिखा रहे हैं | जैसे वो बचपन से देखती आ रही थी कि उनके अपने सिर्फ पैसों की खातिर ही उनसे सम्बन्ध रखते थे धीरे धीरे उसके माता-पिता ने उनसे दूरी बना ली थी उस हादसे के वक़्त भी वो सिर्फ औपचारिकता भर निभाने आये थे |
उनकी मौजूदगी भी सोनम को बर्दाश्त नहीं होती थी |उसने स्कूल भी जाना बंद कर दिया था|घर के नौकरों पर भी उसका भरोसा नहीं रहा उन सबको उसने भगा दिया| धीरे धीरे वो विक्षिप्तता की हालत में पँहुच गई और एक दिन घर छोड़ कर किसी ट्रेन में बैठ कर किसी दूसरे शहर पंहुच गई वहाँ स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उसको नारी निकेतन में भर्ती कर दिया| अब वो सबके लिए अनामिका संवासिनी थी| उसके साथ सभी संवासिनियों जैसा व्यवहार होता रहा|
हर पंद्रह बीस दिन में डॉक्टर लिली उनकी हेल्थ चेकप के लिए आती थी सोनम की हालत में बहुत सुधार आ चुका था फिर भी उसने अपना भेद नहीं खोला| एक दिन डॉक्टर हाथ में न्यूजपेपर लेकर आई जिसमे सोनम के विषय में छपा था अब सभी को पता चल गया की सोनम करोडपति है|
उसके बाद से कोई उसे गोद लेने कोई विवाह का प्रस्ताव लेकर आने लगा कोई उसका गार्जियन बनने की चाह लेकर आया|सोनम ने घर जाने को भी मना कर दिया| वहाँ रह रही संवासिनियों से उसकी दोस्ती हो गई उनकी हालत देख कर उसको बहुत दुःख होता सब के सुख दुःख वो बाँटने लगी |
डॉक्टर लिली से शुरू से ही उसको आत्मीय लगाव हो गया था धीरे धीरे उसने डॉक्टर को अपनी कहानी भी बताई|
एक दिन डॉक्टर लिली के साथ उसका बेटा जो अमेरिका में नया नया डॉक्टर बना था अधिकारियों की इजाजत से वहाँ आया लिली ने सोनम को बुला कर अपने बेटे से मिलवाया|
न जाने उन सब में क्या बात हुई कि सोनम कई दिन तक उलझी उलझी सी दिखाई दी और आज अचानक आप लोगों को बुलवा भेजा|
अब इस बच्ची की कहानी तो मैंने बता दी अब ये क्या कहना चाहती है वो सब आपके सामने आ ही रहा है”
ये सब मीडिया वालों से कह कर नारी निकेतन की अधिकारी एक तरफ जाकर बैठ गयी |
“आप लोग वही हैं न जिन्होंने पिछले दिनों मेरी विरासत के विषय में लिखा था और यहाँ भी मुझे चैन से रहने नहीं दिया अब आप कल के पेपर में ये लिखेंगे कि मैंने अपनी सारी संपत्ति इस नारी निकेतन के नाम कर दी है मुझे एक पैसा भी नहीं चाहिए दो तीन दिन में सब कार्यवाही पूरी हो जायेगी” सोनम ने कहा|
“अब बोलिए लिली आंटी क्या अब भी मेरे बारे में आपके बेटे की वही राय होगी? पास में बैठी हुई डॉक्टर लिली से सोनम ने पूछा |
लिली के बोलने से पहले ही उसका बेटा बोला “एक विरासत तो तुमने इस नारी निकेतन के नाम कर दी जिससे मेरी नजरों में तुम्हारी इज्जत और ज्यादा बढ़ गई दूसरी प्लीज मेरे नाम कर दो अपनी सीरत अपना मुहब्बत भरा ये दिल”|
---------------मौलिक एवं अप्रकाशित
आद० अर्चना त्रिपाठी जी,जरूरी नही की विरासत मिलने के बाद पूरी ख़ुशी मिले अकेलेपन का दुःख हर खुशी को लील जाता है |
आपको लघु कथा पसंद आई आपका बहुत- बहुत आभार |
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