आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
गोष्ठी का आगाज़ और क्या शिरकत... वाह और सिर्फ वाह... रचना के भाव बहुत खूब है कुछ शब्द बदल दें तो बेहतर हो जाए
आदरणीय समर कबीर सर, इस बढ़िया लघुकथा के लिए मेरी तरफ़ से दिली मुबारक़बाद क़ुबूल करें। आदरणीय रवि और वीरेन्द्र जी से मैं भी सहमत हूँ। सादर!
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी।बेहतरीन प्रस्तुति।
वाह आदरणीय समर कबीर जी प्रदत विषय पर आपने लघुकथा को मार्मिकता का रंग देते हुए साकार किया है। हार्दिक बधाई सर।
'हरने' पर प्राण 'धरने' पर (लघुकथा) :
अस्पतालों में मरणासन्न अवस्था में पड़े हुए तीन मरीज़। पहला एक बड़ा नेता, दूसरा धनी बाप का 'उच्च शिक्षित' बेटा और तीसरा एक बहुत ही ग़रीब बाप! तीनों के प्राण क्रमशः हरने यमदूत उपस्थित हुआ, लेकिन अपनी मांगों के साथ तीनों धरने पर थे।
यमदूत ने नेताजी से कहा, "पापी, तेरा तो सारा शरीर छलनी हो चुका है! छोड़ इसको और चल मेरे साथ !"
बहुत ही भयानक, क्रोधयुक्त नेत्र वाले पाशदण्ड धारक यमदूत को देखकर डरते हुए नेताजी बोले, "ठहरो, मुझे और जी लेने दो! देखते नहीं, इस समय भी मेरी जय-जयकार हो रही है! मीडिया कवरेज मिल रहा है! मेरा शरीर दुरस्त कर चिकित्सक मुझे नया जीवन देने वाले हैं! अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से मैं धन्य हो रहा हूँ! मेरे कमाये धन और नाम का लाभ मुझे मिल रहा है! मेरे लिए तो स्वर्ग धरती पर ही है! वहाँ यह सब दिला सको, तो चलूं!"
उलझन में पड़े यमदूत ने अगले अस्पताल में धनी बाप के बेटे से कहा, "पापी, अपना शरीर व्यसनों से, दुर्घटनाओं से, दवाओं से सड़ा लिया है अल्पायु में ही! छोड़ इसको और चल मेरे साथ!"
डरते हुए उसने उत्तर दिया, "चलूंगा! मैं ख़ुद यह सड़ल्ला शरीर त्यागना चाहता हूँ। लेकिन चलूंगा तभी, जब मेरी एक माँग पूरी हो!"
"क्या माँग है तेरी?"
"मैंने अपने बाप की तरह यहाँ अपनी पसंद की हर चीज़ धन-दौलत के बूते पर या आरक्षण नीति से हासिल की है! क्या सीधे स्वर्ग में स्थान पाने के लिए कोई 'जुगाड़' है!"
"जुगाड़ मतलब?"
" मतलब यह कि यमराज के मुंशी साहब के लेखा-जोखा में फेरबदल करा कर या आरक्षण करा कर स्वर्ग सुनिश्चित करा सको, तो चलूं!"
उलझन में पड़ा यमदूत आगे बढ़ा और एक सरकारी अस्पताल में मरणासन्न उस ग़रीब मरीज़ के पास पहुँचा, तो वह यमदूत को देख मुस्कराने लगा।
हैरान हो कर यमदूत बोला, " मुझे देखकर डर नहीं लगता तुझे!"
उसने जवाब दिया, "तुमसे भी ज़्यादा भयानक रूप इन्सानों में देख चुका हूँ हर रोज़ मर-मर के और मेरे जैसों को मरते देख-देखकर! ग़रीबी की तरह तुम मुझे परेशान थोड़े न करोगे!"
"फिर तो तू स्वर्ग का सच्चा हक़दार हो सकता है! अब मत भोग यहाँ का नरक! छोड़ यह शरीर और चल मेरे साथ!"
यह सुनकर वह ग़रीब यमदूत से बोला, "चलूंगा, लेकिन तभी, जब मेरी माँग पूरी हो!"
"क्या माँग है तेरी?"
"मैं नहीं चाहता कि मेरे मरने के बाद मेरे परिवारजन मेरे शव को पैदल, साइकल पर या हाथ ठेले पर घर ले जाने को मजबूर हों! लकड़ी वग़ैरह जुटाने को तरसें और अंतिम संस्कार में देर हो!"
"क्या मतलब?" चौंकते हुए यमदूत बोला।
"मतलब यह कि मेरे मृत शरीर को भी स्वर्ग पहुंचा देना! सिर्फ़ इसने ही तो हमेशा मेरा साथ दिया है हर हाल में! मैं नहीं चाहता कि मेरे शव पर अत्याचार हो, परिवार परेशान हो! " बड़ी विनम्रता से यह कहकर वह ग़रीब बोला, "यदि पुष्पक विमान जैसा कोई इन्तज़ाम हो, तो देह संग चलूं!"
हैरान व परेशान यमदूत वापस यमराजपुरी गया और 'अपनी माँगों' के साथ धरने पर बैठ गया।
[मौलिक व अप्रकाशित]
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |