आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
इंसानी फ़ितरत के बीच भी एक पर्दा होता है एक चेहरा जनता के सामने एक असली ..बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आपने बहुत बहुत बधाई आद० डॉ० विजय शंकर जी |
मोहतरम विजय शंकर साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
लघुकथा अच्छी लगी आ० डॉ विजय शंकर जी जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारेंI लेकिन ढीले विराम-विह्नांकन से मुझे बहुत ही निराशा हुई, रचना बिलकुल भी नयनाभिराम नहीं लग रही हैI
//रिटायरिंग रूम से बाहर निकलते हुए वह सोच रहा था कि कितना फ़र्क़ है इस आदमी के प्रेस कांफ्रेंस वाले चेहरे में और रिटायरिंग रूम वाले चेहरे में।//
लघुकथा की यह अंतिम पंक्ति बहुत कमज़ोर है, इसे और प्रभावशाली होना चाहिए थाI
बढ़िया कथा | हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |