आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय सतविन्द्र जी, डिजीटल दुनिया की एक बड़ी समस्या ऑनलाइन ठगी पर आपने बढ़िया लघुकथा लिखी है. हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय सतविंदर जी बहुत सुंदर पञ्च लाइन व जानदार लघुकथा. बधाई आप को,
बहुत खूबसूरती से प्रदत्त विषय को परिभाषित किया है भाई सतविन्द्र कुमार जीI वो कहते हैं न कि अपने घर लगे तो आग और किसी दूसरे के लगे तो बसंतरI रतन का अँधेरी राहों के सफ़र से तौबा करना एक सार्थक सन्देश दे रहा, ढेरों ढेर बधाई प्रेषित हैI
केश लेस होने जा रहे अपने देश को इन धोखाधडियों से कौन बचाएगा ...बडा प्रश्न है ये ..अच्छा विषय उठाती कथा ..हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय सतविंदर जी
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