आदरणीय साथिओ,
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एतिहासिक् प्रष्ठभूमि पर तैयार की एक शानदार लघु कथा --हम लडाई अंग्रेजों से नहीं हारे , हमारी हार कौम के ऐसे गद्दारों की वजह से हुयी है और जब तक ऐसे लोग इस धरती पर रहेंगे मुल्क की आजादी हमारे लिए छलावा बनी रहेगीयान .’ --इन पंक्तियों ने तो बहुत ऊँचाई पर ला खड़ा किया इस लघु कथा को बहुत बहुत बधाई आद० डॉ० गोपाल नारायण भाई जी
आ० दीदी श्री , आपके प्रोत्साहन से संतुष्टि मिली . सादर .
विषयांतर्गत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।
उपयोगिता--
दरवाजे पर चहल पहल मची हुई थी, एक किनारे दद्दू खटिया पर लेटे हुए सब कुछ चुपचाप देख रहे थे| बड़के नाती ने एक बार फिर फोन लगाया और पूछा "और कितना टाइम है आने में"| उधर से कुछ आवाज़ आयी और उसने सर हिला दिया| उसकी बेचैनी और उत्साह देखते ही बन रहा था|
दद्दू ने एक बार उठने की कोशिश की, लेकिन एक तो कमर दुहरी हो गयी थी, उसपर से घुटने का दर्द, उठ नहीं पाए| फिर उन्होंने सोचा की नाती को आवाज़ लगाएं, लेकिन वह दरवाजे से खलिहान की तरह चला गया था| दद्दू बेबसी में लेटे लेटे दरवाजे का मुआयना करने लगे| कभी चरनी पर कम से कम दस नाँद और खूंटे हुआ करते थे, कुछ बैलों के, कुछ गायों के और एक भैंस का| दिन भर उनका इनके चक्कर में लगा रहता था, खेत से जैसे ही लौटते थे, सभी जानवर उनको देखकर मुंह उठा कर अपनी तरफ बुलाते थे| दद्दू भी सबके पास जाकर उनके चेहरे पर हाथ फेरते और फिर उनके सानी पानी में लग जाते| लेकिन आज तो सिर्फ दो खूंटे बचे थे जिनपर दो जर्सी गायें बंधी थीं|
इसी सोच में डूबे हुए थे दद्दू कि बड़का नाती दौड़ते हुए खलिहान से आया और दरवाजे की तरफ भागा| दद्दू उचक कर देखने की कोशिश करने लगे तभी दरवाजे पर धड़धड़ाता हुआ ट्रैक्टर आया| ड्राइवर के ब्रेक लगाकर रोकते ही बड़का नाती लपक कर ट्रैक्टर पर चढ़ने लगा|
कोने में बड़ी मुश्किल से टिकाकर रखा हुआ बैलगाड़ी का ढांचा ज़मीन हिलने से लुढ़क गया| पूरे घर की नजर ट्रैक्टर पर थी लेकिन दद्दू की नजर ढांचे पर पड़ी और वह कमर पर हाथ रखकर वापस खटिया पर लेट गए|
मौलिक एवम अप्रकाशित
बहुत बहुत आभार आ मोहम्मद आरिफ साहब
बहुत बहुत आभार आ ओम प्रकाश साहब रचना पर टिपण्णी के लिए
पुरानी संस्कृति से जो दिली लगाव होता है उसके ह्रास से जो दर्द होता वह इस लघुकथा में बहुत ही सुन्दर ढंग से उभर कर सामने आया हैI इस मर्मस्पर्शी रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें भाई विनय कुमार सिंह जीI
बहुत बहुत आभार आ योगराज सर रचना पर स्नेहिल टिपण्णी के लिए
बहुत बहुत आभार आ सीमा सिंह जी रचना पर स्नेहिल टिपण्णी के लिए
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