आदरणीय साथिओ,
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सबसे पहले तो आयोजन में हिस्सा लेने के लिए आपका हार्दिक आभार. यहाँ “बहुत देर की मेहरबाँ आते आते” कहना समीचीन होगा. बहरहाल, बहुत ही सशक्त लघुकथा कही है आ० डॉ संध्या तिवारी जी. कहानी कैसे कही जाती है, यह रचना उसका उत्कृष्ट उदाहरण है. अंत में जिस तरह प्रश्न चिन्ह छोड़ कर आपकी यह रचना समाप्त होती है, वह अत्यंत प्रभावशाली है. रचना में निहित सन्देश बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस विशिष्ट लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
यशस्वी भव-सौभाग्यवती भव.
अंत ने बहुत प्रभावित किया, दर असल यह समाज गैर बिरादरी में रिश्ते की बात तो करता है लेकिन अपने से ऊंची बिरादरी को ही बेहतर मानता है| बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए
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