आदरणीय साथिओ,
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आ. राहिला जी, आयोजन में आपका प्रतिभाग एक सुखद एहसास है. कृपया इसे निरन्तर रखिए. लघुकथा अन्त में थोड़ा भटकी हुई है जिसकी तरफ़ आ. योगराज सर ने इशारा किया है. यदि उसे सुधार लिया जाए तो यह एक उत्तम लघुकथा होगी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
जानदार लघुकथा वाह वाह प्रिय राहिला जी हार्दिक बधाई ,काफी अर्से बाद आपको इस आयोजन में देख अच्छा लगा फ़्लैश बेक को कुछ और साधा जा सकता था
लघु कथा एक सुंदर कथानक पर चलते चलते अटक गई उन पात्रों को शुरू में रख दीजिये दो चार पंक्तियों के बाद बच्चा पूछ सकता है फिर क्या हुआ अब्बू ..तो पाठक को ये अचानक नहीं खलेगा .बाकी लघुकथा प्रदत्त विषय को पूर्णतः संतुष्ट कर रही है|बहुत बहुत बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय राहिला आसिफ़ जी ।बेहतरीन लघुकथा।
फ़रिश्ते
काली रात . बेतहाशा बारिश . चिंघाड़ती हवा . रह-रह कर कडकती बिजलियाँ , सम्पूर्ण ब्लैक आउट .नेटवर्क ध्वस्त . मिसेज अलबर्ट बेचैनी से बिस्तर में पहलू बदल रही थीं . उसके पति अभी तक आफिस से घर नहीं आये थे . अलबर्ट की ड्यूटी 8 बजे सायं समाप्त होती थी और अभी रात के ग्यारह बज चुके थे . अलबर्ट का बेटा सो चुका था पर उसकी पत्नी को नींद कहाँ ? अचानक उसे लगा कि कोई उसके घर का दरवाजा भड़ाभड़ा रहा है .
दरवाजा खोलते ही तेज हवा का झोंका अंदर आया . पानी की बौछार से अलबर्ट की पत्नी सराबोर हो गयी , सामने सफेद कपड़ों में लिपटे कुछ व्यक्ति उसे दिखाई दिए. वे आपस में कुछ बतिया रहे थे . उनमे जो सबसे आगे था उसने घरघराती आवाज में कहा -.मिसेज अलबर्ट , आपके पति ओलंपिया हॉस्पिटल में भर्ती है , आप तुरंत उनके पास जाइए वरना कुछ भी हादसा हो सकता है ‘
मिसेज अलबर्ट कुछ आगे पूंछती इससे पहले वे सफेदपोश बरसते पानी और अंधेरे में गुम हो गए . मिसेज अलबर्ट के पास कुछ सोचने-समझने का वक्त नही था . उन्होने सोते बेटे को जगाया . पोर्टिको से कार निकाली और बेटे को साथ लेकर ओलंपिया का रुख किया . वार्ड-बेड कुछ भी न मालूम होने से वह शेष रात भटकती रही , पर उसे अपने पति के बारे में कुछ भी पता नही चला. अब तक बारिश थम चुकी थी और ऊषा काल का प्रकाश फ़ैलने लगा था. मिसेज अलबर्ट ने निराश होकर घर वापस लौटने का निश्चय किया .
घर पहुंच कर उसने जो दृश्य देखा उससे उसकी रूह काप उठी . उसके घर के सामने भीड़ इकठ्ठा थी , आधा घर ढह चुका था . उसका पति घुटनों में सिर छुपाये रो रहा था. लोग उसे सांत्वना दे रहे थे. मिसेज अलबर्ट और बच्चे को ज़िंदा देखकर भीड़ में सुगबुगाहट फ़ैल गयी . अलबर्ट ने पागलों की तरह उन्हें गले लगा लिया – ‘ ओ गॉड, तुम लोग कहाँ गए थे , मैं सारी रात तुम लोगों को ओलंपिया हास्पिटल में तलाश करता रहा . कुछ सफ़ेदपोशो ने मुझे आफिस में आकर बताया था कि तुम वहां भर्ती हो और कुछ भी हादसा हो सकता है , पर तम्हे वहां न पाकर मैं घर लौट आया और यहाँ की हालत देखकर मेरी सब्र का बाँध टूट गया . मैं तो तुम लोगों की उम्मीद ही खो चुका था .
‘ताज्जुब है - उसने आंसू पोंछते हुए कहा –‘ हम भी ओलंपिया से ही आ रहे हैं , मुझे भी रात में कुछ सफेदपोशों ने आकर बताया कि तुम वहां भर्ती हो और कुछ भी हादसा हो सकता है ’
‘तो--------‘ अलबर्ट ने सोंचते हुए कहा –‘असली हाद्सा यह था . वे सफेदपोश जरूर फ़रिश्ते रहे होंगे वरना एक जैसा सन्देश इतनी रात और बारिश में देकर हमे घर से बाहर रहने को कोई क्यों मजबूर करता ?’
(मौलिक /अप्रकाशित )
अच्छी लघुकथा कही है आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी. प्रदत्त विषय को परिभाषित करने का आपका यह अंदाज़ पसंद आया. यह सच है कि हमारे आस-पास कई समानांतर दुनियाएँ हैं जिनका हमे आभास भी नही है, ज्योतिष एवं तन्त्र शास्त्र से जुड़े होने के कारण मैं यह बात पूरी जिम्मेवारी से कह रहा हूँ. बहरहाल इस सुन्दर लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
आ० अनुज आपकी कसौटी पर यदि रचना स्वीकार्य है तो मुझे अवश्य संतुष्टि मिली
आ० उस्मानी जी , ऐसा संकोच क्यों आप स्वयम अच्छी लघु कथाये लिखते हैं आपकी बेबाक राय अपेक्षित है .
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