आदरणीय साथिओ,
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प्रदत्त विषय से न्याय करती हुई प्रतीकात्मक शैली में उम्दा लघुकथा हुई है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदाब। रचना पर समय देकर राय साझा करने और हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार साहिब।
बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय उस्मानी जी ,बधाई आपको ,सादर
आदाब। मेरी इस प्रविष्ठि रचना पर आपकी प्रोत्साहक टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण है। बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया बरखा शुक्ला साहिबा।
मोहतरम जनाब उस्मानी साहब मुबारकबाद बहुत ख़ूब सादर
आपसे भी हौसला अफ़ज़ाई पाकर धन्य हुआ। बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहिब।
संदेशात्मक बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी।
आदरनीय शेख जी,बहुत सुंदर लघुकथा की बधाई हो ।
जिंदगी
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मधूलिका ने अपने बिस्तर के पास पड़े हुए मोबाइल को उठाया और मुस्कुराते हुए , कुछ आड़ी तिरछी शक्लें बनाकर सेल्फी लीं । फिर कोई गीत बड़े ही मधु स्वर में गाकर रिकॉर्ड किया और पोस्ट कर दिया फेस बुक, इंस्टाग्राम और भी जहाँ उसने चाहा । उसके चेहरे पर अब सुकून के भाव थे । वैसे भी उस दुर्घटना के पश्चात आधे शरीर के पैरालाइज्ड होने के बाद से वह बिस्तर पर पड़ी निर्जीव हुई जा रही थी।
मौलिक एवम अप्रकाशित
बढ़िया प्रयास है विषय पर लिखने का, बहुत बहुत बधाई आ अन्नपूर्णा बाजपेई जी
आदाब। हर हाल में सोशल मीडिया प्रवृत्तियों और अपनी अभिरुचियों के मोह को उभारती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई साहिबा। दिव्यांगता के हालात में सकारात्मक दिनचर्या भी कह सकते हैं। [// फेसबुक/मधुर स्वर//]
ज़िंदगी से मोह का अच्छा उदाहरण पेश किया है आ० अन्नपूर्णा जी। कम शब्दों में बड़ी बात कहने के लिए मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है।
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