For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 48 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-49

विषय - "बंधन"

आयोजन की अवधि- 14 नवम्बर 2014, दिन शुक्रवार से 15 नवम्बर 2014, शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. 
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 14 नवम्बर 2014,दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 10119

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जग के क्षणभंगुर बंधनों पर सुन्दर पद प्रस्तुत किया है अ० सत्यनारायण सिंह जी 

हार्दिक बधाई 

रचना को पसंद कर मान बढ़ाने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीया डॉ प्राची जी  

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी,

सरस-सरस सरसी सरसाई,बरसी है रस-धार |

सत्य सुनाते "सत्य" साँवरे,संशय में संसार ||

काले-काले  नाग चहुँ दिशि, जीवन  कारागार |

हरि ही नैया पार लगाये , शेष सभी निस्सार ||

उत्कृष्ट सरसी छन्द में बंधन बखूबी परिभाषित हुआ. बधाई.

सादर

आदरणीय निगम  जी, आपका हार्दिक आभार! आपके काव्यात्मक अनुमोदन ने रचना को सार्थकता प्रदान की है!

सादर!    

बहुत सुन्दर मुग्धकारी प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई सत्यनारायण भैय्या 

रचना को पसंद कर मान बढ़ाने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी दी 

गीत/ नवगीत विधा
विषय ~ बंधन
........................
हाँ तेरे बंधन में आके खुल गयीं
मेरी उड़ानें
.
डोरियाँ ये प्यार की
कितनी भली हैं रेशमी हैं
ढेर रंगो की पतंगे
आसमां में जा थमीं हैं

यूँ कि हम इक कंठस्वर
में मिल रहे सुखद वह गीत गानें !
.
कोंपलें है खिल रहीं
पुरवाई सोहर गा रही है
नौनिहालों के लिए
मकरंद ले हर्षा रही है

फूल की घाटी में हैं इतरा रहे
कितने ठिकानें !
.
चाहते हैं अब गगन
और आग धरती हवा पानी
सब मिलें विश्वास की डोरी
पिरो दे इक कहानी

लिख रही है मुँहजुबानी दास्ताँ
मीठे तरानें !
.
मौलिक व अप्रकाशित

बहुत ही प्यारा सा गीत रचा है प्रिय गीतिका जी, अति सुन्दर। लेकिन इन पंक्तियों में लय कुछ बाधित सी हो रही है।

//यूँ कि हम इक कंठस्वर
में मिल रहे सुखद वह गीत गानें !//

आपके स्नेहिल आशीष से धन्य हुआ। गीत के प्रवाह पर समय देकर संशोध न के लिए अनुरोध करूंगी।
आभार आ० प्रधान सम्पादक जी!

वेदिका जी

सुमधुर गीत i

हाँ तेरे बंधन में आके खुल गयीं
मेरी उड़ाने ------------------------------ विरोधाभास के बीच एक चिरंतन सत्य  i .
कोंपलें है खिल रहीं
पुरवाई सोहर गा रही है
नौनिहालों के लिए
मकरंद ले हर्षा रही है

फूल की घाटी में हैं इतरा रहे
कितने ठिकानें !-----------------------------उन्मुक्त उड़ान

लिख रही है मुँहजुबानी दास्ताँ
मीठे तरानें ! ----------------------------चरम परिणति i

आपका अत्यंत आभार आ० गोपाल जी!

बहुत सुंदर गीत ,बधाई स्वीकारें आदरणीया वेदिका जी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार.…"
34 seconds ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, मेरा तो अनुभव रहा है, यदि कोई आपको रचना के पुनरावलोकन की सलाह दे…"
1 minute ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"   आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद पर आपकी सराहना पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका…"
9 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"कार्यालयों में अपना काम करवाने की एवज में इस तरह का शोषण एक दुखद स्तिथि है। बधाई आदरणीया एक अच्छी…"
46 minutes ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"बहुत-बहुत धन्यवाद उस्मानी जी  -सहमत हूँ आपकी बातों से : सुधार करने का पूरा प्रयास रहेगा."
48 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीय उस्मानी जी युवा द्वारा आतंकी को काफिर कहे जाने से क्या आशय है जबकी काफिर शब्द किसके लिये…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"रचना पर उपस्थिति के लिये हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी। रचना का भाव स्पष्ट है 'कश्मीरी…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर जी।आपको जो अधूरापन लगा उसके बारे में यही कहूँगी कि लघुकथा एक…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार। प्रदत्त विषय को एक नया अहम आयाम देती बढ़िया रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदाब। एक बढ़िया बाल मनोविज्ञान आधारित समसामयिक और दीर्घकालिक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service