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बुनियाद
“सत्य और परोपकार मतलब ट्रुथ एंड चैरिटी”
“वो तो मैं जानता हूँ पापा... मुझे हिंदी में स्पीच देनी है.”
“अच्छा ..... हमेशा सत्य बोलना चाहिए. झूट बोलना पाप है. गांधीजी हमेशा सत्य बोलते थे. सत्य की हमेशा जीत होती है....”.
“और परोपकार पापा ?”
“परोपकार, मतलब दूसरों पर उपकार करना. परोपकार सबसे बड़ा धर्मं है. असहाय लोगो का सदैव सहयोग करना चाहिए. यही परोपकार है.......”
अगले दिन स्पीच में फर्स्ट प्राइज़ की ट्रॉफी लेकर, बेटा स्कूल से घर आया तो देखा पापा बेडरूम की अलमारी में नोटों की गड्डियाँ रख रहे थे. तभी कॉलबेल बजी और पत्नी ने आकर फुसफुसाया- “किशन भैया आये है. कह रहे है कि मीना अस्पताल में है.”
“हे भगवान! ये फिर आ गया उधारी मांगने. तुम यहीं रुको.... सुनो बेटा! तुम जाकर कह दो, पापा घर पर नहीं है.”
बेटे ने पल भर अपनी ट्रॉफी को देखा और उसे बड़ी लापरवाही से साइड टेबुल पर रखकर, पिता के आदेश का पालन करने चल दिया.
(मौलिक व अप्रकाशित)
बाजी मार ही गए आदरणीय मिथिलेश भाई जी । मैं भी बारह बजने का इंतजार काफी देर से कर रहा था । शानदार ओपनिंग हुई है आज गोष्ठी की । शुभकामनाएं ।
हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी
आभार
आदरणीया रेखा मोहन जी. ये आप क्या कर रही हैं ? किसी को कहीं भी बधाई दे रही हैं ! आपका कहा कहीं भी पोस्ट हो रहा है. आपकी लघुकथा प्रस्तुति भी गलत थ्रेड में आयी है.
" शानदार ओपनिंग " ये पहली टिप्पणी दिल को भा गई. आदरणीय रवि जी... बहुत बहुत धन्यवाद
यकीन मानिए अगली बार नया विषय लेकर आऊंगा. सादर
सराहना हेतु हार्दिक आभार आदरणीया कांता जी
कथनी और करनी में अंतर का यह विषय 70 के दशक से ही लघुकथाकारों का पसंदीदा रहे है। मगर यह बेहद घिस पिट चुका है। कोई नया विषय ढूंढो भाई मिथिलेश जी।
हा हा हा .... मुझे इसी बात का डर था ....बिलकुल सही कहा सर... अभी अभ्यास के क्रम में पुराने विषयों पर ही कलम चला रहा हूँ. इस विषय पर तीन लघुकथाएं लिखी थी ये पहली है. दूसरी ब्लॉग पोस्ट कर दी और तीसरी आयोजन के बाद ब्लॉग पोस्ट करने का विचार था. यदि आप अनुमति दे तो कार्यशाला में ही प्रस्तुत कर देता हूँ. इन दोनों में किसको पोस्ट करूँ इसी में उलझा रहा और इसे ही पोस्ट कर दिया.
वास्तव में यह विषय बहुत घिस पिट चुका है लेकिन बाकी दोनों में नया विषय लेने का प्रयास किया है. सादर , नमन
आदरणीय योगराज सर, पुनः प्रयास किया है आपके मार्गदर्शन का निवेदन है -
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“सत्य और परोपकार मतलब ट्रुथ एंड चैरिटी”
“वो तो मैं जानता हूँ पापा... मुझे हिंदी में स्पीच देनी है.”
“अच्छा ..... हमेशा सत्य बोलना चाहिए. झूट बोलना पाप है. गांधीजी हमेशा सत्य बोलते थे. सत्य की हमेशा जीत होती है....”.
“और परोपकार पापा ?”
“परोपकार, मतलब दूसरों पर उपकार करना. परोपकार सबसे बड़ा धर्मं है. असहाय लोगो का सदैव सहयोग करना चाहिए. यही परोपकार है.......”
अगले दिन स्पीच में फर्स्ट प्राइज़ की ट्रॉफी लेकर, बेटा स्कूल से घर आया तो देखा पापा बेडरूम की अलमारी से नोटों की गड्डियाँ ब्रीफकेस में रख रहे थे. तभी कॉलबेल बजी और पत्नी ने आकर फुसफुसाया- “किशन भैया आये है. कह रहे है कि मीना अभी भी कोमा में है.”
सुनते ही ब्रीफकेस बंद किया और ड्राइंग रूम पहुँच गए. ट्रॉफी लिए बेटा भी ड्राइंग रूम के दरवाजे के आड़ में खड़ा रहा.
“किशन अभी तो मैं ऑफीस जा रहा हूँ जरुरी मीटिंग है. पूरे पैसो का इंतजाम होते ही तुम्हे फोन करता हूँ. अस्पताल जाओ अभी तुम ... और हाँ ये कुछ पैसो का इंतजाम किया है.ये ले जाओ."
और ब्रीफकेस किशन को थमा दिया.
बेटे ने पल भर अपनी चमकती ट्रॉफी को देखा तो उसे लगा ये पापा के गाल है और उसने ट्रॉफी को चूम लिया.
(मौलिक व अप्रकाशित)
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