For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 76628

Reply to This

Replies to This Discussion

बहुत बहुत शुक्रिया ।

Oboज़िंदाबाद ।
वाह ! क्या खूब गजल कही है आपने आदरणीय समर जी , हर अशआर मन को प्रफुल्लित कर रहे है ।
जय ओबीओ !
बहुत बहुत शुक्रिया,
Oboज़िंदाबाद ।
मंच के सभी सदस्यो को स्थापना दिवस की बधाईयाँ। साहित्य के इस ताल किनारे २वर्ष पूर्व ही आकर खड़ी हो गई थी मगर असली स्वच्छ पारदर्शी ताल में डुबकी गतवर्ष नवंबर मे लगाई। अब हाथ पैर मार तझरना सीख रही हूं।

ओबीओ की प्रबंधन एवं कार्यकारिणी टीम तथा सभी सदस्यों को स्थापना दिवस की बहुत बहुत बधाई। ओबीओ यूँ ही दिनोंदिन तरक्की करता रहे इस शुभकामना के साथ।

आदरणीय एडमिन जी, संचालक मंडल एवं समस्त सदस्य साथियो ! ओबीओ की उन्नत साहित्यिक यात्रा के छह वर्ष पूर्ण होने पर ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी एडमिन्स एवं सदस्यों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं . यह साहित्यिक -यात्रा इसी तरह निरंतर चलती और प्रवाहित होती रहे यही कामना हैं.

|

विश्व में पढ़े - लिखे लोगों के बीच समष्टि के कल्याण और मानवता की बातें असर करती हैं।
बस हमारे ही साहित्य को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं प्रतीत होता है। समस्याओं से हम सब वाकिफ हैं ,
समस्याओं का सब सुन्दर से सुन्दरतम चित्र अकिंत लेते हैं पर वे वांछित प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं।
देखिये न , न प्रेमचंद की कहानियां इस देश की गरीबी को कम कर पाईं , न सत्यजीत रे की गरीबी
को चित्रित करती फ़िल्में। प्रसंशा दोनों को प्रभूत मिली। आज भी " वेलडन अब्बा " और " मुसद्दी लाल "
पर बने टी वी सीरियल ओर फ़िल्में केवल कुछ क्षणों के लिए दो चार लोगों से अच्छाई का प्रमाण- पात्र
पा कर भुला दी जाती है। भ्रष्टाचार के जिस कीचड़ में हम डूबे हुए हैं उसे ज़रा भी कम नहीं कर पातीं हैं ,
समाज के किसी विद्वेष , अलगाव को मिटा नहीं पातीं हैं , जब कि विश्व में कहीं कहीं तो कुछ शब्दों ने
विश्व की न केवल सोच बदल दी वरन सारा स्वरुप ही बदल दिया। हम अभी भी मूल प्रश्नों से इतर बहस करते हैं ,
समाधान ढूंढते हैं और " कुछ नहीं सकता है " की टिप्पणी के साथ चुप होकर बैठ जाते हैं। दीर्घ काल से
निर्माणाधीन पुल भरभरा के टूट पड़ता है , कितनी धन और जन की क्षति होती है, हम भ्रष्टाचार छोड़ कर
हर कारण को डिस्कस करते हैं। भ्रस्टाचार हमारे साहित्य से , कथाओं से , टी वी और सिनेमा से पूर्णतः
सुरक्षित और अप्रभावित रहता है। हमारा साहित्य कमजोर है या भ्रष्टाचार इतना सशक्त कि कोई उसका
बाल बांका भी नहीं कर सकता। साहित्य या कोई भी मीडिया कभी प्रभावी नहीं हो सकता जब वह समाज
के उस तबके तक न पहुंचे जो सबसे अधिक क्षीण और पीड़ित है। अब प्रश्न यह है कि उस तबके तक इसे
पहुँचाये कौन ? जो लोग साहित्य साधना करते हैं वे उसी में थक जाते हैं ,जो पढ़ते हैं , वे ड्राइंगरूम बहस तक
सीमित होते हैं , अब तो लैपटॉप और आई पैड ने साहित्य को बैडरूम तक सीमित कर दिया है।
समस्या गम्भीर है और जटिल भी , पर समाधान भी हम ही को ढूँढ़ने होंगे क्यों कि खेल में जूझते हुए खिलाड़ी
को यह पता नहीं चलता कि वह कहाँ गलत खेल गया। यह तो दर्शक - दीर्घा में बैठे लोग ही तुरंत जान जाते हैं।
समाधान भी हमको ही ढूंढने होंगे।
ओ बी ओ को छह वर्ष का हो जाने पर एडमिन के साथ साथ सभी साथियों को बहुत बहुत बधाइयां।
इस वर्ष-गाँठ पर कुछ ऐसा संकल्प लें , समस्याएँ कुछ हैं , दिशाएँ अनगिनत हैं , समाधान भी अनगिनत ही होंगे।
कुछ कदम इस विचार के साथ , साथ- साथ उठायें। देखें तो हम कितने विफल होते हैं।
पर चलें ही नहीं , यह तो कोई बात नहीं होगी ......

आदरणीय सर जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी विद्वान संचालक महानुभवों तथा
साहित्यरसिक सभी सदस्यों  बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामना.
- मार्कण्ड दवे ।

मेरी पसंद के रंगों में से एक रंग से सजे ओबीओ के सुंदर आकर्षक मुख्य पृष्ठ डिज़ाईनर को हृदयतल से बहुत बहुत बधाई। बहुत पसंद आया है यह रूप!

ओ बी ओ के साहित्यिक सफ़र के  6 कामयाब साल मुकम्मल होने पर ओ बी ओ प्रबंधन एवं कार्य कारिणी टीम , तजुर्बेकार संचालकों एवं सदस्यों को हार्दिक बधाई , ऊपर वाले से यही दुआ है कि यह सफ़र मुसलसल चलता रहे। ......

ओ बी ओ के छ कामयाब साल मुकम्मल होने पर इज़हारे ख्याल। ........ मुबारकबाद

यह हक़ीक़त है नहीं है अहले दुनिया कोई ख़्वाब |

एक दीपक बन गया है छ बरस में आफ़ताब |

क्यों नहीं तस्दीक़ ओ बी ओ का हम मेंबर बनें

दे रहा है यह ज़माने को सुख़नवर  लाजवाब |

(तस्दीक़ अहमद खान तस्दीक़ )

बहुत ख़ूब,
Oboज़िंदाबाद ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
3 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service