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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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धन्यवाद आदरणीय ।
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,आपको जन्म दिवस की ढेरों बधाइयां और शुभकामनायें ।
धन्यवाद सर ।

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया कल्पना जी

धन्यवाद आदरणीय ।

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया कल्पना जी

धन्यवाद आदरणीय ।
क़ाबिल-ए-एहतिराम दोस्तों ,उज्जैन से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'समावर्तन' के जनवरी 2017 के अंक में मशहूर शाइर और नस्र निगार मुहतरम जनाब ज़हीर क़ुरैशी साहिब ने नाचीज़ पर एक मज़मून क़लमबंद किया है और इसके साथ ही मेरी 10 ग़ज़लें भी शामिल की हैं ,जनाब ज़हीर क़ुरैशी साहिब का मज़मून आप सब से साझा करता हूँ ।
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आदरणीय समर कबीर जी, इस उपलब्धि हेतु आपको हार्दिक बधाई. ओबीओ परिवार को आप पर गर्व है. इस ख़बर ने दिल खुश कर दिया. 'समावर्तन' जैसी देश की महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पत्रिका में स्थान मिलना तथा आदरणीय जहीर कुरैशी साहब जैसे मकबूल शायर द्वारा परिचय देना, बड़ी बात है. बहुत बहुत बधाई. आप इस सम्मान के हकदार है. सादर 

जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,मैं हैरान रह गया था जब मुहतरम ज़हीर क़ुरैशी साहिब ने मुझे इस पत्रिका'समावर्तन'के बारे में बताया,और ये बताया कि उन्होंने मुझ नाचीज़ पर मज़मून लिखा है,आपकी और ओबीओ परिवार की मुहब्बतों का ही ये परिणाम है,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

बहुत बहुत बधाई आ समर कबीर साहब 

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब विनय कुमार जी ।

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