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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

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स्नेही साथियो,
आज हमारे मंच ओबीओ का स्थापना दिवस है..ओबीओ नें अपने चार वर्ष पूरे कर के पांचवें में प्रवेश किया है.... तो ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों के लिए मेरी तरफ से एक छोटा सा केक.......

भाव ज्ञान का विस्तृत सागर
प्रेमादर की छलकी गागर
सभ्य सुसंस्कृत नेह पगा वो
क्या सखि साजन? नहिं ओबीओ

वाह, बहुत सुंदर भाव !प्राची जी ईश्वर इस मंच के लिए उन्नति के नए मार्ग खोलता रहे, शुभकामनाएँ  

बहुत शुभ दिन है.
'ओ बी ओ' की पूरी टीम को उनके अथक परिश्रम और सृजनशीलता के अवसर हम सब को देने के लिए दिल से बधाई देता हूँ. आशा करता हूँ की ये मंच आने वाले दिनों में और प्रगति करेगा और देश में साहित्य के विकास मे अपना बहुमूल्य योगदान देगा.
धन्यवाद

समस्त ओ बी ओ परिवार को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

सुने-कहे,   सम्बन्ध बनावे 
बहुविधि विद्या सहज सिखावे  
शब्द-धनी, अति सुगढ़ सुधी वो  
का सखि साजन ? नहीं... ओबीओ !

ओ बी ओ स्थापना दिवस पर ओ बी ओ परिवार के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाइयाँ.

ओबीओ   की स्थापना दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई. 

जब चाहूँ सम्मुख आ जावे 

ज्ञान दीप की ज्योति जलावे 

राह दिखाए सुलभ सही वो 

क्या सखि साजन ?

ना ओबीओ | 

ओबीओ की चतुर्थ वर्षगाँठ पर ओबीओ के संथापक, प्र.सम्पादक, प्रबंधक मंडल सदस्य और सुधि लेखकों को हार्दिक बधाई -

सागर से नवरत्न निकाले

अमृत सबको खूब पिलावे

पथ से डिगता कभी नहीं वो

क्या सखी साजन ? नहीं ओबीओ  

बड़े ही दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि ओ बी ओ परिवार के सम्मानित सदस्य, कवि और हास्य कलाकार आदरणीय टीकमचंद उर्फ़ अलबेला खत्री जी हमारे बीच नहीं रहे, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार के सदस्यों को इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें । 

आदरणीय अलबेला खत्री जी के न रहने का दुखद समाचार सुन मन बहुत आहत है.... 

परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वो दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में शरण दें..और उनके स्वजनों को इस अपार दुःख को सहने का संबल प्रदान करें.

इस दुःख की घड़ी में ओबीओ परिवार उनके परिवार के साथ है.

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति: ,

पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: ,

सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥

विनम्र श्रद्धांजलि !

एक ऐसी खबर जिस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है .........श्रद्धांजलि  लिखने के लिए दिल बिलकुल भी गवाही नहीं दे रहा ............दुःख को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे ........

ओबीओ के सक्रिय सदस्य, हास्य कवि अलबेला खत्री जी हमारे मध्य नहीं रहे | परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार जनों को असीम दुःख सहने के शक्ति प्रदान करे | प्रभु से यही याचना है | ॐ शांति शांति शांति: !

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