For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रख्यात विद्वान एवं मूर्धन्य साहित्यकार राजेन्द्र यादव आज दिवंगत हो गए ,अब हमारे मध्य वे केवल स्मृति एवं कृति रूप में ही रहेंगे . एक साधारण दिखने वाला असाधारण व्यक्तित्व ,सुहृद व्यक्ति और जिसे अपनी अच्छाइयाँऔर बुराइयाँ दोनों को अपने चेहरे पर खूबसूरती से सजाना आता था .हिंदी साहित्य क्षेत्र में एक अलग परिचय के लोग थे ,कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे और कुछ का तो संपादन भी किया . ईश्वर इस विभूति को अपने लोक में यथेष्ट स्थान दें .उन्हें मेरी आत्मीय और विनम्र श्रद्धांजली .

Views: 2448

Reply to This

Replies to This Discussion

हिंदी में वयस्क सोच के लेखक और पाठकों की फ़ौज कड़ी करने का श्रेय राजेन्द्र यादव को दिया जाना चाहिए..देश में लाखों लेखक ऐसे हैं जिनके संग्रह में हंस के तमाम अंक हैं...हंस को उसके आलोचकों ने भी खरीद कर पढ़ा...'अपना मोरचा' में सशक्त पाठकीय भागीदारी देखने को मिलती थी. ये सब उन सहमतियों से असहमति होते हुए लोगों को झकझोरत रहता था. हिंदी में हंस न आती तो साहित्य को जाने कितने नई सोच के कथाकार न मिल पाते. राजेन्द्र यादव का हिंदी साहित्य में जो इमेज उभरती है वो बड़ी ग्लेमरस है...वाकई वो एक सुपर-स्टार थे...और सबसे बड़ी बात है कि एक इंसान थे कोई देवता नही...ज़िन्दगी भर विवाद उन्हें घेरते रहे और विवाद न घेरते तो वो विवादों को न्योता दे डालते थे. नए कथाकारों को स्वीकारना होगा कि उनके सुझाए संशोधन कितने सटीक हुआ करते थे. ऐसा महान मित्र संपादक का जाना दुखद है....हंस के सम्पादकीय पन्ने अब पाठकों की नज़रों को तर्सायेंगे...देखें इस बार राजेन्द्र यादव ने क्या लिखा....ऐसे उत्कृष्ट और दबंग सम्पादकीय के लिए हिंदी के पाठक तरसेंगे अब...हमारी विनम्र श्रद्धांजली....

हिंदी साहित्य में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले इस साहित्यकार को श्रद्धेय नमन.....

भगवन इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ... मूर्धन्य साहित्यकार राजेन्द्र यादव को मेरा शत शत नमन

एक युग का अंत , दुखद समाचार है ! मेरे और मेरे परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि !!! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें !!!

नके निधन से साहित्य का एक युग समाप्त हो गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!

दुखद समाचार......नमन.....भावभीनी श्रद्धांजलि !!!

दुखद समाचार......विनम्र श्रद्धांजलि !!!

सामयिक प्रकाशन, दिल्ली के सौजन्य से दस विभिन्न पुस्तकों का विमोचन समारोह था तब. आदरणीय पंकज सुबीर, जिनकी पुस्तक ’महुआ घटवारिन और अन्य कथाएँ’ भी उनमें से एक थी. उन्हीं के बुलावे पर मैं दिल्ली के विश्व-प्रसिद्ध IIC प्रेक्षागृह पहुँचा था उस शाम. पहली बार हंस के संपादक राजेंद्र यादव और हिन्दी साहित्य के समालोचक नामवर सिंह के दर्शन हुए थे, उन दोनों को सापेक्ष और एक दूसरे के साथ सुनने का पहला ही मौका मिला था.

भाई भरत तिवारी जो फेसबुक के ज़माने से ही मेरे अत्यंत आत्मीय रहे हैं, और बहुत सम्मान देते हैं, मौज़ूद थे. मेरा भरत भाई से भी साक्षात मिलने का वो पहला ही मौका था. वे राजेन्द्र यादव जी के साथ अत्यंत घनीष्ठता से बातें कर रहे थे. बाद में मालूम हुआ कि वे उनके अत्यंत आत्मीय हैं. मैं उन दोनों के पास पहुँचा तो वे राजेन्द्र यादव से बातचीत को रोक कर हठात मेरे पैरों पर झुक गये. कहना न होगा, मेरे साथ-साथ राजेंद्र जी भी चौंक गये. भरत भाई ने हार्दिक आत्मीयता और आवश्यक गांभीर्य के साथ मेरा राजेन्द्रजी से परिचय कराया.

मैं अत्यंत विशिष्ट जनों के लिए आयोजित देर रात होने वाले डिनर तक के लिए पंकज सुबीर भाई द्वारा साग्रह रोक लिया गया था. उस बेहतरीन मौके का फायदा यह हुआ कि राजेंद्र जी और नामवरजी के साथ-साथ अन्य कई-कई लेखकों-साहित्यकारों से कई पहलुओं पर सापेक्ष बातें हुई थीं.

मैं अपनी आदत के मुताबिक साहित्य में धड़ल्ले से अन्यथा ही अपना लिये गये आचारों-व्यवहारों, जिनमें लेखन-प्रक्रिया के इतर की ही बातें अधिक होती हैं या विसंगतियों की श्रेणी में आती हैं, पर प्रश्न कर बैठा था. राजेंद्र जी मुस्कुराते रहे. उन्होंने कुछ सार्थक जवाब नहीं दिया था. लेकिन उन छः-सात घण्टों में ही उन्हें बहुत कुछ समझने की कोशिश की थी मैंने. बहुत कुछ जाना भी. यह अवश्य था कि उस दिन के विशिष्ट जमघट में नामवरजी से अधिक बड़े आकर्षण वही थे.

राजेंद्रजी की विशिष्ट दुनिया से और उनके सहयोग से ख्याति प्राप्त कर चुके या कर रहे कई कथाकार-रचनाकार उपस्थित थे वहाँ. बहुत कुछ ऐसा जानने-सुनने को मिल रहा था जो उनकी प्रचारित हुई या ’प्रचारित करवायी गयी’ छवि के बिल्कुल उलट था. मैं चकित था कि यह शख़्स कितना हौसला रखता है !

खैर, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता.. की तर्ज़ पर अब सारा कुछ मेरे मनस में जम गये अविस्मरणीय पलों की तरह विद्यमान रहेगा.

शुभ-शुभ

प्रेत बोलते हैं  और उसके संशोघित स्वरुप सारा आकाश  से साहित्य के  आकाश पर छा जाने वाले  श्री यादव जी अपनी प्रगतिशील  सोच के  कारण सर्व स्वीकार्य हुए  I  हंस के सम्पादकीय  भी काफी चर्चित हुए  I  निसंदेह वे  एक अनिवर्चनीय  साहित्यिक  विभूति थे  I  उनके लिए नेत्र सदैव सजल रहेंगे  I 

साथ ही मैं पद्मश्री  के पी सक्सेना   जी  का अभाव भी उतनी ही शिद्दत से महसूस करता हूँ  I  उनकी  टाइप से भी सुन्दर हस्तलिपि को जिसने देखा है वह हमेशा उनका कायल रहेगा I 

 

 ईश्वर  इनकी आत्मा को शांति प्रदान  करे I

ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!  तथा परिवार को इस दुख की घडी मे सहन  शक्ति दे .........

विनम्र श्रद्धांजलि

कालेज के दिनों से ही हंस और राजेंद्र जी के फिक्शन का बड़ा फैन रहा हूँ उनके सम्पादकीय बेलौस हुआ करते थे अपने अंदाज़ के इस कलम कार सा कोई और विरला ही होगा ....कमी बहुत खलेगी ...विनम्र श्रंद्धांजलि 

!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
32 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service