For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 58 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-59

विषय - " समय "

(कितनी विचित्र होती है समय की सत्ता.... प्रिय साथ हो तो पंख लगा उड़ जाता है समय, और विरह के क्षण हों तो पल पल लगने लगता है सदियों सा भारी. समय बलवान हो तो रंक भी राजसी सुख भोगता है और वहीं प्रतिकूल हो तो पल पल नारकीय दुख अनुभव कराता है. बीता समय कभी वापिस नहीं आता इसलिए हर एक पल मूल्यवान है और सोच समझ कर उपयोग किया जाना चाहिए....... आइये आज इसी बहुमूल्य 'समय' को अपनी भावनाओं से जोड़ कर ओढ़ाते हैं शब्दों का आवरण और अभिव्यक्त करते हैं अपने मन की बात कविताओं में.....)

आयोजन की अवधि- 11 सितम्बर 2015, दिन शुक्रवार से 12 सितम्बर 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 सितम्बर 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11602

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. डॉ. नीरज शर्मा जी, इस शानदार रचना पर हार्दिक बधाई आपको !  

आदरणीया नीरजजी 

कद्र जो इसकी नहीं करते कभी।

सर्वदा उनको रुलाता है समय॥ ......सही है 

व्यक्ति जैसा आंक लेता है इसे।

या बुरा , अच्छा कहाता है समय॥.........  अपने समय से समय का आँकलन करते हैं

सत युगी , त्रेता, कभी द्वापर यहां।

कलयुगी अब तो कहाता है समय॥............ इसलिए बदनाम है 

चुक रहा पल पल खज़ाना जान लो।

आइना सबको दिखाता है समय॥............. सही सलाह 

समय की महत्ता का बखान करती इस सुंदर रचना के लिए हृदय से बधाई 

ह्रदयतल से आभार आप सभी सुधिजनों का।

हार्दिक बधाई आदरणीय नीरज जी , बहुत खूबसूरत रचना  प्रस्तुत की है!

वारि दुनिया को पिलाता है समय।
खुद मलंगी गीत गाता है समय॥१॥

वाह प्रदत विषय पर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति हुई है आदरणीया। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

रेत की मानिंद कर से फिसलता।

ए! मनुज उठ जाग कहता है समय॥४॥...........वाह ! बहुत सुंदर.

आदरणीया डॉ. श्रीमती नीरज शर्मा जी सादर, यह न छंद हुआ न ही गजल किन्तु रचना की सभी द्विपदियाँ प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक रची गयी हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

बरवै छंद में इस सुंदर रचना के लिये आपको बहुत बधाई आदरणीया निरजजी

आदरणीया नीरज शर्मा जी... 

प्रदत्त विषय पर बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति प्रस्तुत हुई  है जिसके लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

किन्तु यह प्रस्तुति बरवै छंद भी नहीं और ग़ज़ल भी नहीं आदरणीया..

दो पदों और चार चरणों के इस छंद में १२-७ की यति के साथ ही जगन (१२१), या तगण (२२१) से पदांत होता है साथ ही दो पदों में समतुकांतता का परिपालन भी अनिवार्य होता है.

बरवै : १९ मात्राओं का एक छंद जिसमें १२ और ७ मात्राओं पर यति और अंत में 'जगण' होता है अर्थात एक ऐसा छंद जिसके विषम अर्थात् पहले और तीसरे चरणों में बारह-बारह और सम अर्थात् दूसरे और चौथे चरणों में सात-सात मात्राएँ होती है बरवै कहलाता है | सम चरणों की अंतिम चार-चार मात्राओं का  जगण  के रूप में होना आवश्यक (रोचक) होता है। इसे 'ध्रुव' और 'कुरंग' भी कहते हैं ।

छंद प्रभाकर के रचयिता श्री जगन्नाथ प्रसाद भानु जी  के अनुसार बरवै के अंत में जगण होना रोचक होता है परन्तु तगण का प्रयोग भी देखा जाता है ! अर्थात उनके उपरोक्त कथन से यह स्वतः ही स्पष्ट है कि बरवै का अंत जगण होने से रोचकता तो है पर इसकी अनिवार्यता नहीं है !

नवीन चतुर्वेदी जी के अनुसार बरवै के अंत में केवल गुरु-लघु आवश्यक है !

बरवै छंद

12+7=19 मात्रा वाला मात्रिक छंद

दोहे की तरह दो चरण - चार पद

पहला और तीसरा पद 12 मात्रा 

दूसरा और चौथा पद 7 मात्रा

दूसरे और चौथे पद के अंत में गुरु लघु अक्षर 

इस मार्गदर्शन के लिए आभार आपका 

आदरणीया डॉ नीरज जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है

समय शब्द को परिभाषित करती हुई सुन्दर सार्थक प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई आ० नीरज शर्मा जी 

आदरणीया डॉ नीरज शर्मा जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है. शेर दर शेर दाद हाज़िर है- 

वारि दुनिया को पिलाता है समय।

खुद मलंगी गीत गाता है समय॥१॥......................बढ़िया मतला बस काफिया निर्धारण सही करना होगा 

चक्र इसका घूमता रहता सदा।

एक सी ही चाल चलता है समय॥२॥............ वाह 

ये नहीं रुकता किसी के वासते।

दमबदम गतिमान रहता है समय॥३॥.......... सही बात 

रेत की मानिंद कर से फिसलता।........ रेत की मानिंद फिसले हाथ से 

ए! मनुज उठ जाग कहता है समय॥४॥

भूत को रख याद, जी, बस आज में।

गूढ़  ये  बातें  सिखाता  है  समय॥५॥............  बढ़िया 

थाम कर मुठ्ठी में जिसने रख लिया।

मित्रता उससे निभाता है समय॥६॥............... बहुत सुन्दर  .... सही बात 

कद्र जो इसकी नहीं करते कभी।

सर्वदा उनको रुलाता है समय॥७॥............. सही बात 

व्यक्ति जैसा आंक लेता है इसे।

या बुरा , अच्छा कहाता है समय॥८॥.............. बढ़िया 

सत युगी , त्रेता, कभी द्वापर यहां।

कलयुगी अब तो कहाता है समय॥९॥.............. सही है 

चुक रहा पल पल खज़ाना जान लो।

आइना सबको दिखाता है समय॥१०॥............... बहुत बढ़िया शेर 

बीत जब जाता निकल कर हाथ से।

जा भविष्यत में समाता है समय॥११॥............. बहुत अच्छा 

व्यस्त जीवन से शिकायत कुछ करें।

पास में उनके नहीं बचता समय॥१२॥...................  सानी बेबह्र हो रहा है  

शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
18 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
18 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
18 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service