For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 66 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-67

विषय - "प्रकाश/उजाला/रौशनी"

आयोजन की अवधि- 13 मई 2016, दिन शुक्रवार से 14 मई 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 13 मई 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 12865

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया दीदी 

इस रदीफ़ पर कुर्बान हूँ ---आपने यह क्या कहा , उसने कहा छोड़ो मियां -

सुभानाल्लाह . 

बहुत बहुत शुक्रिया आ० डॉ० गोपाल नारायण भाई जी  

आदरणीया राजेशजी

पनी अदालत में कभी  तुझसे अगर पूछे खुदा     

इंसान बन कर क्या किया? उसने कहा छोड़ो मियाँ

 खुद की जलाई आग में खुद के उजाले जल गए    

यमराज से फिर गिडगिड़ा उसने कहा छोड़ो मियाँ  .........अति सुंदर

विषय पर कहने का यह ढ़ंग पसंद आया। हार्दिक बधाई

आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे लेखन को सार्थक किया अभिभूत हूँ तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आ०अखिलेश  कृष्ण जी 

वाह वाह वाह !! लाजवाब ग़ज़ल हुई है आ० राजेश कुमारी जी, रदीफ़ का चुनाव और निभाव जिस कुशलता से किया है वह काबिले तारीफ है, इस मुकम्मिल ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें I

आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे उत्साह को दुगुना कर दिया मेरे लेखन को सार्थक किया अभिभूत हूँ तहे दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया आ० योगराज  जी आज आयोजन में ठीक से उपस्थिति नहीं बना पा रही हूँ सुबह से व्यस्त हूँ कल सुबह मुंबई की फ्लाईट पकडनी है शायद सबकी रचनाएँ भी नहीं पढ़ पाऊँगी संकलन में ही पढूँगी|

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,प्रदत्त विषय पर बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है, दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे लेखन को सार्थक किया अभिभूत हूँ तहे दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया आ० समर भाई  जी 

वाह वाह वाह 

क्या खूब ग़ज़ल लिखी है दीदी ... दिल खुश हो गया. और रदीफ़ उसने कहा छोड़ो मियाँ  का तो जवाब नहीं. सभी अशआर एक से बढ़कर एक हुए है. इस शानदार ग़ज़ल पर दाद दाद दाद ..........

नमन 

दिल खुश हो गया आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर भैया आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे लेखन को सार्थक किया अभिभूत हूँ तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया . 

अपनी अदालत में कभी  तुझसे अगर पूछे खुदा     

इंसान बन कर क्या किया? उसने कहा छोड़ो मियाँ .. कमाल कमाल कमाल ! 

ग़ज़ब के रदीफ़ से आपकी प्रस्तुति भी ग़ज़ब ढा रही है आदरईया राजेश कुमारीजी.  इसौम्दा ग्ज़ल केलिए दाद दाद दाद !

खला में रोशनी की ...

ये घास फूस की छत भी
कितनी गरीब होती है
यहां कभी
मौसम नहीं आते
पर हर मौसम की
बात होती है
बर्बाद कर देती हैं आंधियां
जब आशियाने को
तब यहां बरसात होती है
तप जाता है नंगा बदन
जब भानु से
रोशनी की गागर ले
रश्मियाँ आज़ाद होती है
थक जाते हैं जुगनू
अंधेरों से लड़ते लड़ते
भला चुटकी भर रोशनी से
कब स्याह रात में सहर होती है
कभी ज़िंदगी इस छत के नीचे
तिलभर रोशनी को तरसती है
तो कभी बरसती रोशनी की
आतिश में झुलसती है
ये घास पूस की छत
सच ,बहुत गरीब होती है
बिखरते तिनकों की छत में
बारिश रुक नहीं पाती
और पैबंदों में कभी
गरीबी छुप नहीं पाती
मुट्ठी भर सुकून की रोशनी के लिए
ज़िंदगी का कशकोल
खाली ही रहता है
और धीरे धीरे
खला में रौशनी की
इंसान खो जाता है

मौलिक एवं अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. अमित जी "
56 seconds ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"दोस्तो आदाब, तबीअत ख़राब होने के कारण इस आयोजन में शिर्कत नहीं  कर पा रहा हूँ, माज़रत  ।"
6 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२ १२१२ २२ यूँ ख़ुमारी के सँग बला भी थी आँख में नींद थी निशा भी थी /१ ये जो चूके हैं हम निशाने…"
14 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"साइट में कुछ तकनीकी समस्या के कारण 'सुरेन्द्र इंसान' अपनी ग़ज़ल मंच पर पोस्ट नहीं कर पा रहे…"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत खूब आदरणीय निलेश भाईअच्छे अशआर हुए हैं, हार्दिक बधाई आपको। गिरह खूब लगी है। मित्रता…"
34 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। 2122 1212…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया अमित भाई "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"2122    1212    22/112 दास्ताँ प्यार फ़लसफ़ा भी थी  और फ़साना वफ़ा दुआ भी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब, ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"क्या बिहतरीन है इस ग़ज़ल में?"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. अजय जी,इस मंच पर आने से पहले मुझे एक मिश्रा भी बहर में कहना नहीं आता था .. इसी प्रकार की चर्चाएँ…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service