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आदरणीया रश्मि जी बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई
वाह बहुत खूब रश्मि जी,महिलाओं के हुनर को नकारने वालों को एक अच्छा प्रत्युत्तर देती लघुकथा. इस शानदार रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आदरणीया रश्मि तरीका जी आप ने एक सच्चाई को व्यक्त किया है. फेसबुक की यही हकीकत है . बधाई इस हेतु .
आदरणीय रश्िम जी मुझे लगता है मैनें आपकी ये कथा आज ही फेसबुक के किसी ग्रुप में पढ़ी है । बहरहाल आपको इस सारगर्भित व यथार्थपरक कथा के लिए शुभकामनाएं । पर मुझे यह कथा विषय से पूर्णरूपेण न्याय करती नजर नहीं आ रही। सादर
आदरणीय रश्िम जी, ये कथा मैनें शायद आज ही आपके नाम से ही किसी ग्रुप में पढ़ी है यानि यह मौलिक है और आप द्वारा ही रचित है परन्तु अप्रकाशित नहीं है।
सही बात ...काम/हुनर बोलता है व् तारीफ पाता है लिखने वाला चाहे कोई हो |बहुत बहुत बधाई रश्मि जी
हार्दिक बधाई आदरणीय रश्मि जी!बहुत ही सही प्रत्युत्तर की दलील दी गई है!
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