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बहुत अच्छी और क्यूट सी नोक झोंक वाली लघुकथा रची है, मेरी दिली बधाई स्वीकारें I वैसे कथा का रोचक नहीं रुचिकर होना बेहतर माना गया है आ० प्रभा पाण्डेय जी I
आपको प्रयास अच्छा लगा ,क्यूट लगा आपका तहे दिल से आभार आदरणीय , योगराज प्रभाकर जी
हा हा हा .... आदरणीया प्रतिभा जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई
आपका आभार आदरणीय मिथिलेश जी
हार्दिक आभार आपका मेरे कहे को मान देने के लिए
सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार आदरणीया अर्चना जी
वाह । प्रतिपादित प्रकश्ण को पूर्णत परितुष्ट करती इस अतीर्ण उच्चकोटि की रचना के पर्यसन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं । जिस प्रकार आवर्धक लेंस से किसी सूक्ष्म तत्व का अावर्धन कर देखा जाता है बिल्कुल उसी प्रकार का कलेवर है आपकी प्रस्तुत लघुकथा का। दैनदिनं की साधारण सी दिखने वाली घटना का प्रवरण आपकी पैनी दृष्टि दर्शाता है। अक्सर 40 पार लोगों के साथ यह समस्या दिखती है, क्योंकि जिस प्रकार किशोरवय अपने आपको बाल न समझ बड़ा समझता है ठीक उसी प्रकार 40 पर लोग भी बेचारे जवान नहीं होते पर वे अपने आपको बूढ़ा भी नहीं मानना चाहते। इसी कशमकश को बहुत ही रोचक ढंग से दर्शाती प्रस्तुत लघुकथा एकदम से दिल में उतर गई। अपार शुभकामनाएं
आदरणीय आप का कथा पर विस्तृत अवलोकन मुझे उत्साहित करता है ,आपका ह्रदय से आभार
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