For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-72

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 72 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब क़तील शिफाई साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"कैसा था वो पहाड़ जो रस्ते से हट गया"

मफऊलु फाइलातु मुफाईलु फाइलुन

221 2121 1221 212

(बह्र:  मुजारे मुसम्मन अखरब मक्फूफ़ )
रदीफ़ :- गया
काफिया :- अट (हट, सिमट, कट आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24 जून शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें, बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी पूर्व सूचना के हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 जून दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16399

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जैसा कि मेने अर्ज़ किया है ये शब्द "बटवारा"से बना है,इस लिये ये तक़्सीम के अर्थ में लिया जायेगा,फिरोज़ुल लुग़त में मुझे कहीं भी "बँट"शब्द नहीं मिला,हो सकता है ये हिंदी उर्दू का फ़र्क़ हो,आप अपनी जगह सही हम अपनी जगह सही ।

बेहतर है दोनों शब्दों को मान्यता मिल जानी चाहिए ---:-)))))))) नहीं तो हम ही बट/बँट ..जायेंगे ..हाहाहा   

ये सबसे अच्छी बात है बहना ।

आदरणीय समर भाई , बात एक शे र की नही है , क़तील साहब जो कह गये वो कह गये , मेरा कहना कि क्या हम उन गलतियों दुहराते बैठें जो किसी ने किन्ही स्थितियों मे कीं है ।

फिर तो अरूज़ के हर नियम  के खिलाफ आपको कोई न कोई उदाहरण मिल ही जायेंगे , क्या ये इस मंच को स्वीकार्य होगा इ कल मै भी किसी गलती को सही साबित करने केलिये एक उदाहरण ले आऊँ ।
आपके बाताये  बट के की भी अर्थ वहाँ फिट नही आते ।
मेरा उद्देश्य उन अजीम शायर की गलती निकालना नही है , हम उनके नाखून के बराबर भी नहीं है ।

आप इस विषय पर खुल कर कुछ कहें , हम तो अनुसरण करने वाले हैं , नियम तो जानकार ही बतायेंगे ।

मूल प्रशन ये है कि '' क्या किसी के द्वारा करदी गई गलती को उदाहरण बना के हम भी वही करें ?

अस्ल में ये हिन्दी और उर्दू का फ़र्क़ है कोई ग़लती नहीं क़तील साहिब ने भी कोई ग़लती नहीं की वो अपनी जगह दुरुस्त हैं , मिसाल के तौर पर यहाँ जनाब कृष्ण बिहारी 'नूर' साहिब की इक ग़ज़ल जिसके एक शैर में 'बट' शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो आप की ख़िदमत में पेश कर रहा हूँ उन्होंने भी इस शब्द को तक़्सीम के मानी में लिया है।

इतने हिस्से में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं

अब और क्या उदाहरण पेश करूँ आप के लिये।

आ.गिरिराज जी,
दिक्कत ये है कि आप काफिया गलत मान बैठे हैं. उर्दू में बँटवारा नहीं बटवारा लिखा जाता है जिसमें न की ध्वनि अथवा उससे सम्बन्धी मात्रा है ही नहीं. हिंदी में हम इस रूप में पढ़ते हैं अत: आपने एक छवि बना ली है.
और मेरी कहूँ... तो मैं वो हर तथाकथित गलती करने को तैयार हूँ जो उस्तादों ने की है.(अगर ये गलती है तो) मुझे गलतियों से गुरेज़ नहीं है. मैं गलतियाँ करूँगा भी और तर्क/ कुतर्क के नाम पर बड़े शाइरों को quote भी करूँगा ....
आप से और सभी से फिल्म दीवार का प्रसिद्द डायलाग भी कहूँगा ...कि जाओ, पहले उस आदमी का साइन ले कर आओ ...फिर जहाँ कहोगे मैं साइन करने के लिए तैयार हूँ"....
तनाफुर और ताक़बुले-रदीफ़ को मैंने ऐब मानना बंद कर दिया है क्यूँ कि मुझे क्लासिकल पोएट्री नहीं करनी ...
मुझे वो संजय मांजरेकर नहीं बनना जो बल्ला सीधा लाता है, कोहनी उपर रखता है और हर स्ट्रोक कॉपी-बुक खेलता है...लेकिन रन नहीं बना पाता....
मुझे सचिन पसंद है जो अपर कट, स्लैप, पैडल स्वीप से रन बनाता है...
रन बनना ज़रूरी है ....वही असली मज़ा है ....
सादर

 

आदरणीय समर भाई जी ,आपने बट के  अर्थ दिए  हैं ये सब संज्ञा हैं हमे वहाँ क्रिया चाहिए तो ये शब्द कैसे फिट हो सकते हैं वहाँ |एक बार एक और ग्रुप में इसी मुद्दे पर चर्चा चली थी खुद मैंने भी शेर में बट लिख दिया था हिंदी छंदों के वरिष्ट पुरोधाओं ने तभी ओब्जेक्शन किया था वो मुझे इस आयोजन में भी याद था तथा अपेक्षित था की वो चर्चा यहाँ भी होगी |ऐसे में आ० सौरभ जी के विचारों का भी इन्तजार है | हिन्दी की डिक्शनरी में तो बँटवारा  लिखा हुआ है तथा बँटना क्रिया 

अब ही सोचिये क्या सही है या किसी  उर्दू की डिक्शनरी में है तो बताइये  

बहना ये सिर्फ़ हिंदी और उर्दू भाषा का फ़र्क़ है और कुछ नहीं,फिरोज़ुल लुग़त में मुझे "बँट"शब्द नहीं मिला इसी तरह हिंदी डिजशनरी में आपको "बट"नहीं मिलेगा ।
सबसे बड़ी बात ये कि "क़तील"जैसे शायर पर ये इलज़ाम आजाता है कि उन्होंने ग़लत क़ाफ़िया इस्तेमाल किया और ये किसी भी तरह दुरुस्त नहीं,मैने कृष्ण बिहारी नूर साहिब का भी एक शे'र लिखा है उन्होंने भी बट ही इस्तेमाल किया है, जब हम ग़ज़ल कहते हैं तो लाज़मी तौर पर हमें उर्दू कवायद का पालन करना होगा,और जब हिंदी विधा की बात होगी तो हिंदी के नियमों का पालन करना होगा,ये सिर्फ़ भाषा की बात है और ग़ज़ल में "बट" क़ाफ़िया ग़लत नहीं ।

वाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति … हार्दिक बधाई स्वीकार करें

वाह खूब ग़ज़ल हुई  है बधाई ..............

आ. नीलेश जी, मतले में पिता की वेदना का जो मार्मिक वर्णन किया है आपने, उसका जवाब नहीं।
शानदार ग़ज़ल से मुशायरे का आगाज़ करने पर दोहरी बधाई आपको। सादर!!

कितना हसीन था ये सफ़र यार!! तेरे साथ,
रस्ता था जो सदी का वो लम्हों में कट गया.-----शानदार उम्दा शेर 

झुमका, कफ़न से ऐसे किसी का लिपट गया,
मैं क्या कहूँ ये शेर यहीं पर सिमट गया.-----हम भी निःशब्द हैं 

सुन्दर ग़ज़ल कही है नीलेश भैय्या बहुत बहुत बधाई और हाँ आ० गिरिराज जी की बात पर भी गौर करें . 
.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service