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आदरणीय मनन जी प्रस्तुति एवं सहभागिता हेतु बधाई
ये एक बहुत ही अनसुलझी गंभीर समस्या है, जो कई तरह हमारी रोजमरा कि जिंदगी में देखने को मिलती , अगर इस तरह कि कहानी को खुरेदने की कोशश की जाए तो इनमें और भी बहुत सी कहानिया मिलती है, मुझे लगता इस विषय पे और अच्छी लघुकथा बन सकती थी - बधाई कबूल करें
भाई वीर मेहता जी, आपकी यह लघुकथा प्रदत्त विषय से पूरी तरह न्याय कर रही है I कहने की शैली भी अच्छी है, हालाकि स्टिंग ऑपरेशन वाली बात से अंत नाटकीय हो गया है. बहरहाल, इस सुन्दर प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें I
'पियादे' से भी शह को मात में बदला जा सकता है ...बिल्कुल सही ..बहुत बढ़िया कथा कहीं हैं आपने |
आदरणीय वीरेंदर जी प्रदत विषय पर राजनीतिक दांव पेच को चित्रित करती सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई। इसकी ये पंक्ति ''जनाब! मैंने शतरंज तो नहीं खेली पर इतना जानता हूँ कि एक 'पियादे' से भी शह को मात में बदला जा सकता है'' कथासार को सशक्त करती है।
आदरणीय वीर मेहता जी आप लघुकथा जानदार प्रवाह के साथ चलती हुए मन का उलझन में उलझाए रहती है. एक जिज्ञासा बनी रहती है कि आगे क्या होगा. इस मायने में आप को लघुकथा काबिले तारीफ है. अंत में आ का एक छोटा प्यादा मात दे जाता है. बहुत ही खूबसूरती से आप ने लघुकथा का आगे बढाया है. बधाई आप को इस सशक्त लघुकथा के लिए.सादर.
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