Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत सामयिक मुद्दा आपने उठाया जानकी जी।
लेकिन प्रभावशाली तरीके से अपनी बात नहीं कह पाई।
कौन सा कुम्भ का मेला है जो बारह साल बाद आएगा, महीने बाद अगली गोष्ठी में मिलते हैं
रचना प्रभावशाली बनाने के मेरे निवेदन को भूल मत जाइएगा ,आप
एकल संवाद शैली में एक अजन्मी की पीड़ा को शब्दांकित करने का अच्छा प्रयास है आ० जानकी जी I अच्छा है, किन्तु इससे कहीं बेहतर हो सकता था I संप्रेषण शैली बेहद कमज़ोर रह गई, कुछ पंक्तियाँ कॉमास में हैं, तो कुछ उनके बगैर - यह बात उलझाव पैदा कर रही है I एकल संवाद शैली से मैं निजी तौर पर बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हूँ I बहरहाल, आप एक सक्षम रचनाकार हैं अत: इन कमियों पर पार पा लेंगी I बहरहाल, प्रतिभागिता हेतु हार्दिक अभिनंदन स्वीकार करें I
हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी जी!समाज के एक कडवे सच को किस खूबसूरती से लघुकथा में पिरोया है,बेहद प्रशंसनीय प्रस्तुति!
बहुत सटीक रचना , सबको पुत्र ही चाहिए | बधाई आपको
मेरा यह मानना है कि एक लेखक का यह कर्तव्य भी होता है कि अपने सृजन द्वारा समाज में व्याप्त दोष को समाप्त करने में अपना योगदान दे| सामयिक घटनाओं के सच को दर्शाती यह रचना अपना सन्देश बखूबी दे रही है| इसके सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सतविन्दर कुमार जी|
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |