परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 91 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब बहज़ाद लखनवी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"जब तक कि ख़ुद को अपनी पहचान हो न जाए "
221 2122 221 2122
मफ़ऊलु फाइलातुन मफ़ऊलु फाइलातुन
(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 जनवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 जनवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आ0 रवि शुक्ला जी आपका हृदयतल से आभार।
वाह.. //मतलब परस्त इंसां को मत खुदा दो इतना, अंधा कहीं वो हो कर हैवान हो न जाए//.. बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन' साहिब।
आ0 शहज़ाद उस्मानी जी ग़ज़ल में शिरकत और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार।
मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। मक़्ते का उला मिसरा बह्र में नहीं है , और ऐब -तनाफुर है (उससे ) ,यूँ करसकते हैं "बिनती है रब ,नमन से भूले से भी किसी का "
आ0 तस्दीक़ अहमद खान साहब ग़ज़ल में शिरकत और प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार। भगवन ही सोच कर लिखा था पर भगवान टाइप हो गया जिससे बेबहर हो गया। ध्यान आकर्षित करने के लिए बहुत आभार।
"विनती 'नमन' की भगवन"
बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय बासुदेव जी बहुत बहुत मुबारकबाद
मकते में ये भी कर सकते हैं
भगवान सुन लो विनती करता नमन हमेशा
उससे कभी किसी का नुक्सान हो न जाए
आ0 राजेश कुमारी जी आपका हृदयतल से आभार। सुझाव के लिए बहुत धन्यवाद।
आद0 बासुदेव जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बहुत बहुत बधाई। शेष गुणीजनों की बातों का संज्ञान लीजियेगा।
आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह जी बहुत आभार।
आदरणीय , उम्दा ग़ज़ल । बधाइयाँ !
आ0 आशीष श्रीवास्तव जी बहुत आभार।
आदरणीय वासुदेव जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
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