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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 97 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-98

विषय - "सम्मान"

आयोजन की अवधि- 14 दिसंबर 2018, दिन शुक्रवार से 15 दिसंबर 2018, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 14 दिसंबर' 2018, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर नमस्कार, प्रदत्त विषय पर बहुत खूबसूरत गजल हुई है आपकी. दिली मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. फिरभी मतले के बाद वाले शेर के उला में कहीं तनाफूर तो नहीं है. देख लें.सादर 

जनाब भाई अशोक कुमार साहिब नमष्कार, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

वाह!वाह! बहुत ही उम्दा ताना-बाना ग़ज़ल के रूप में बुना गया और साथ ही सीख भी दी गई । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबादआदरणीय तस्दीक अहमद जी ।

मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

नसीहत, हिदायत, ताक़ीद करती विषयांतर्गत बेहतरीन ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।

जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

अब तो हर क़ातिल मसीहा बन गया है दोस्तों
ख़त्म कर दे जो भरोसा उसका मत सम्मान कर l.........बहुत सही कहा श्रीमान।

भूल जाए पिछ्ले वादे और करे वादे नए
उसकी फितरत में है धोका उसका मत सम्मान कर l .............आजकल सभी नेता व दलों पर यह बात खरी लगती है।

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है। हर शेर दाद के काबिल है। बधाई आपको।

मान ले कहना तू मेरा उसका मत सम्मान कर l
बेच दे ईमाँ जो अपना उसका मत सम्मान कर 

जनाब तसदीक़ साहब विषयानुरूप उत्तम प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई .....

सम्मान

स्वयं का बखान

श्रेष्ठता का गुरूर

रात दिन की उठा पटक

कीचड़ उछालने का शौक

गिराकर आगे निकल जाने की होड़

सिर्फ और सिर्फ पाने की चाह

आधुनिकता के नाम पर

दम तोड़ती मर्यादायें

डराकर धमकाकर बेईमानी से

हड़प लेने की प्रवृत्ति

कभी न खत्म होने वाली ख्वाहिशात

इन सब के बीच

झूठ के पीछे भागते हम सब

भूल बैठे हैं

जो मार्ग दया, प्रेम

सहिष्णुता और भाईचारे से होकर न गुजरे

सम्मान की मंज़िल तक

कभी नहीं पहुँचता

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय नादिर खान साहब दिल से नमन,विषयानुकूल सुंदर रचना के लिए बधाई

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