आदरणीय साहित्य प्रेमियों
सादर वन्दे,
"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १८ वे अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले १७ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने १७ विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-
"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८
.
विषय - "सपने"
आयोजन की अवधि- ७ अप्रैल २०१२ शनिवार से ९ अप्रैल २०१२ सोमवार तक
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपने अपने सपनो को हकीकत का रूप. बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -
अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- 18 में सदस्यगण आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो शनिवार ७ अप्रैल लगते ही खोल दिया जायेगा )
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |
"महा उत्सव" के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
मंच संचालक
धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)
Tags:
Replies are closed for this discussion.
सही कहा है भाई राणा जी ! आदरणीय योगराज की इस गज़ल के क्या कहने !
सादर आभार राणा प्रताप सिंह जी.
खुशहाली में हिस्सा तेरा
छोडो भाई झूठे सपने
बहुत सही कहा है आपने...
क्यों कर देखे ऎसे सपने
ये तो हैं सब मेरे अपने........
दिल से शुक्रिया शुभ्रांशु भाई जी
स्वागत है सीमा अग्रवाल जी, आपकी ज़रानावाज़ी का शुक्रिया, आपकी असहमति भी सर आँखों पर
आदरणीया सीमा जी, कितनी सुन्दर और प्रेरित करने वाली टिपण्णी है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
खूँ के आँसू देते सपने झूठे सपने सच्चे सपने
होते हैं जो झूठे सपने होते कैसे कैसे सपने
.
जैसे टूटे तारा कोई यदाकदा ही टूटे तारा
ऐसे मेरे टूटे सपने ऐसे ही बस टूटे सपने.
.
जब नैनों में नींदें आईं अंगड़ाई जब टूटे इनकी
ले अंगडाई जागे सपने होवें रंगबिरंगे सपने
.
कैसे हारे बाज़ी कोई जीते हैं तो मीठे-मीठे
जीते जो भी सारे सपने हारे फिर तो खारे सपने
.
तेरा आना, मेरा शाना* मेरे शाने पर तेरा सर
कैसे कैसे, देखे सपने जल्दी हों ये पूरे सपने
.
दे दे चार निवाले दाता विनती सुन लें प्रभु आपकी
देखें सारे भूखे, सपने पूरे हों भूखे के सपने
.
खुशहाली में हिस्सा तेरा सच्चे सपनों को रख भाई
छोडो भाई झूठे सपने मुझको दे दे झूठे सपने
.
काटें फसलें आशा वाली योगराज जी दाद कबूलें
जो रूहों से बोते सपने हैं साकार सलोने सपने
.
वो ज़हरों का ताजिर* होगा गम के मोल में खुशियाँ बेची
बांटे है जो मीठे सपने मुफ्त साथ में बाँटे सपने.......................................................................
आदरणीय योगराज जी, इस अनुपम रचना पर कोटिश: दाद स्वीकार करें
खूबसूरत गजल
तेरा आना, मेरा शाना* कैसे कैसे, देखे सपने ! टूटते बिखरते रिश्तों की दास्तान अब येही है!
सादर आभार आदरणीय कपूर साहिब
तेरा आना, मेरा शाना*
कैसे कैसे, देखे सपने
..
दे दे चार निवाले दाता
वो ज़हरों का ताजिर* होगा
बांटे है जो मीठे सपने
वाह , आदरणीय योगराज सर,शुरुआत ही बहुत शानदार हुई है !
बहुत बहुत शुक्रिया अरुण भाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |