परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के "गोल्डन जुबली अंक" अर्थात 50 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का मिसरा -ए-तरह हिन्दुस्तान के मशहूर शायर जनाब ज़फर गोरखपुरी साहब की एक बहुत ही मकबूल ग़ज़ल से लिया गया है | पेश है मिसरा-ए-तरह.....
"शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
२१२२ २१२२ २१२२ २१२ १
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
(बह्रे रमल मुसम्मन् महजूफ)
विशेष : मिसरे की ताकतीअ में अंत में एक मात्रा ज्यादा है जो ली गई छूट के अंतर्गत आती है. अशआर के पहले मिसरे बिना इस मात्रा को बढाए भी कहे जा सकते हैं.
मुशायरे की अवधि केवल दो तीन दिन (केवल इसी अंक हेतु) है -
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 29 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और
दिनांक 31 अगस्त दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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दूसरी ग़ज़ल
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नाम जो लेते दुआ को हाथ उठ जाने के बाद
ये ग़ज़ल होगी मुक़म्मल नाम वो आने के बाद
ऐ ख़ुदा तूने बनाया ही भला इंसान क्यों
दिल ये मेरा पूछ्ता है , ख़ामुशी छाने के बाद
हो क़रीबी चाँद से , पर पास तारों का रहे
ये ही काम आयेंगे तुमको, चाँद छिप जाने के बाद
हैं कहीं वीरानियाँ जैसे ये वीराँ दिल हुआ
कोई वीराना बताये मेरे वीराने के बाद
दोस्त तेरी बातों में क्या दुश्मनों का है दखल
बेबसी बढने लगी क्यों तेरे समझाने के बाद
शुक्रिया ऐ दोस्त , दे के ज़ख्म साथी दे दिया
दर्द रहता साथ है तनहाइयाँ छाने के बाद
आज पत्थर मार लो दीवानगी को , ठीक पर
एक दिन दीवानगी ढूंढोगे , दीवाने के बाद
जो जलाया वो जले जब है यही इंसाफ़ तो
"शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
आदरणीय गिरिराज जी दूसरी ग़ज़ल के शेर भी प्रभावशाली हुए हैं| जो अशआर बहुत पसंद आये वह निम्नांकित हैं
हैं कहीं वीरानियाँ जैसे ये वीराँ दिल हुआ
कोई वीराना बताये मेरे वीराने के बाद
शुक्रिया ऐ दोस्त , दे के ज़ख्म साथी दे दिया
दर्द रहता साथ है तनहाइयाँ छाने के बाद
आज पत्थर मार लो दीवानगी को , ठीक पर
एक दिन दीवानगी ढूंढोगे , दीवाने के बाद ....ढेर सारी दाद कबूल कीजिये|
आदरणीय राणा प्रताप भाई , आपकी सराहना ने मेरा हौसला बढ़ा दिया , आपका दिल से शुक्रिया ।
एक और बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई
ये दो शेर पसंद आए
हैं कहीं वीरानियाँ जैसे ये वीराँ दिल हुआ
कोई वीराना बताये मेरे वीराने के बाद
शुक्रिया ऐ दोस्त , दे के ज़ख्म साथी दे दिया
दर्द रहता साथ है तनहाइयाँ छाने के बाद.. क्या बात वाह वाह
आदरनीय नीलेश भाई , आपका बहुत आभार ।
दिल में उतरने वाले अश'आर कहे हैं आ० गिरिराज भंडारी जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आदरणीय योगराज भाई , आपकी प्रतिक्रिया ने गज़ल कहना सफल कर दिया । आपका आभार ।
हैं कहीं वीरानियाँ जैसे ये वीराँ दिल हुआ
कोई वीराना बताये मेरे वीराने के बाद---वाह्ह्ह उम्दा शेर
आज पत्थर मार लो दीवानगी को , ठीक पर
एक दिन दीवानगी ढूंढोगे , दीवाने के बाद ---जबरदस्त कहन
दूसरी ग़ज़ल भी पहली से कम नहीं ,दाद कबूलें
आदरणीया राजेश जी , सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ।
क्या बात है आदरणीय
एक दिन दीवानगी ढूंढोगे , दीवाने के बाद
क्या कहाँ है दिल से दाद कबूलें....
आदरणीय भुवन भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
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