For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !

Views: 12373

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब रवि साहिब , दिया मिसरा फ़िराक़ साहिब की ग़ज़ल के मकते का है |(जिंदगी दर्द की कहानी है _चश्मे अंजुम में भी तो पानी है ) मगर जो बहर के अरकान हैं वो अरुज की किताबों में नहीं मिलते हैं |जो मिलते हैं वो हैं (फाइ लातुन _मफाइलुन_ फ़ेलुन ) हालाँकि (फाइ लुन _फाइ लुन _मफा ईलुंन ) के अरकान के नंबर बराबर है |सही जवाब तो राणा साहिब ही दे सकते हैं |

आदरणीय रवि जी आप जो मतला समझ रहे हैं वह फ़िराक साहब की ही दूसरी ग़ज़ल का है और तरही मिसरा दूसरी ग़ज़ल का है जिसका मतला इस तरह है 

ज़िंदगी दर्द की कहानी है

चश्म-ए-अंजुम में भी तो पानी है

और बहर वाली आपकी बात से मैं सहमत हूँ ये मुझसे ही गलती हुई है दरअसल अंतिम रुक्न देखने से स्पष्ट हो जा रहां है| पोस्ट में आवश्यक संशोधन मैं किये देता हूँ|

शंका समाधान के लिए आदरणीय राणा जी और आदरणीय तस्दीक जी का बहुत बहुत शुक्रिया । नेट की सर्च में भी रदीफ़ वाली ग़ज़ल आई जिससे हमें भ्रम हुआ। सादर। 

आदरणीय राणा प्रताप जी, कल 23/11/2018 को तरही मुशायरे 101 के तहत ग़ज़ल पोस्ट किया था। जो आज दोपहर से पटल पर नहीं दिखाई दे रहा है। कृपया बताएं उसे डिलीट कर दिया गया है क्या? या उसमें कुछ खामियां थी।

जनाब श्लेष जी आदाब,आपकी ग़ज़ल पटल पर मौजूद है,मैंने ख़ुद उस पर टिप्पणी दी है,कृपया आयोजन के अंतिम पृष्ठों में तलाश करें ।

जी, कबीर जी धन्यवाद, मुझे O.B.O. आपरेट करना सीखने में समय लगेगा, कमेंट करता हूँ वह अन्यत्र स्थान पर पोस्ट हो जाता है, पेज खोलना भी नहीं आ रहा है।

धीरे धीरे सब सीख जाएंगे,कोई परेशानी हो तो बताइयेगा ।

सर मुझे कई दिनों से नोटिफिकेशन नहीं मिल पा रही किसी भी एक्टिविटी की, ब्लॉग एक्टिविटी भी नहीं मिल पा  रही और आज भी यही दिक्कत हो रही 

एक बार आपका  "gmail" "Sync" करके देख लीजिए , हो सकता उससे आपका काम हो जाए ।

सर इस बार तरही मिसरा 105 में जो मिसरा दिया गया है उसकी तक्ति मुझसे नहीं हो पा रही कृपया तक्ति करके समझाने का कष्ट kren

"जि1/न्हें/1  इं2/साँ/2     न/1हीं/1 कह/1ते/2     उ/1न्हें/1 इं/2साँ/2    कर/2 दें/2 "

1122(2122)      1122     1122   22

विशेष: 

१. पहला रुक्न फाइलातुनको  फइलातुन अर्थात २१२२  को ११२२भी किया जा सकता है 

राणा साहब रिप्लाई देने का बहुत बहुत शुक्रिया, जिन्हे 11,उन्हें 11 में ले सकते है? उन्हें और जिन्हे का मात्रा भार तो 12 में आता है और मेरी जानकारी के अनुसार न्हें को 1में नहीं लिया जा सकता, अगर मैं गलत समझा हूँ तो मुझे सही कर दीजिये

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
12 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service