For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे पूछताछ

"OBO लाइव तरही मुशायरे"/"OBO लाइव महा उत्सव"/"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के सम्बन्ध मे यदि किसी तरह की जानकारी चाहिए तो आप यहाँ पूछताछ कर सकते है !

Views: 12306

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब रवि साहिब , दिया मिसरा फ़िराक़ साहिब की ग़ज़ल के मकते का है |(जिंदगी दर्द की कहानी है _चश्मे अंजुम में भी तो पानी है ) मगर जो बहर के अरकान हैं वो अरुज की किताबों में नहीं मिलते हैं |जो मिलते हैं वो हैं (फाइ लातुन _मफाइलुन_ फ़ेलुन ) हालाँकि (फाइ लुन _फाइ लुन _मफा ईलुंन ) के अरकान के नंबर बराबर है |सही जवाब तो राणा साहिब ही दे सकते हैं |

आदरणीय रवि जी आप जो मतला समझ रहे हैं वह फ़िराक साहब की ही दूसरी ग़ज़ल का है और तरही मिसरा दूसरी ग़ज़ल का है जिसका मतला इस तरह है 

ज़िंदगी दर्द की कहानी है

चश्म-ए-अंजुम में भी तो पानी है

और बहर वाली आपकी बात से मैं सहमत हूँ ये मुझसे ही गलती हुई है दरअसल अंतिम रुक्न देखने से स्पष्ट हो जा रहां है| पोस्ट में आवश्यक संशोधन मैं किये देता हूँ|

शंका समाधान के लिए आदरणीय राणा जी और आदरणीय तस्दीक जी का बहुत बहुत शुक्रिया । नेट की सर्च में भी रदीफ़ वाली ग़ज़ल आई जिससे हमें भ्रम हुआ। सादर। 

आदरणीय राणा प्रताप जी, कल 23/11/2018 को तरही मुशायरे 101 के तहत ग़ज़ल पोस्ट किया था। जो आज दोपहर से पटल पर नहीं दिखाई दे रहा है। कृपया बताएं उसे डिलीट कर दिया गया है क्या? या उसमें कुछ खामियां थी।

जनाब श्लेष जी आदाब,आपकी ग़ज़ल पटल पर मौजूद है,मैंने ख़ुद उस पर टिप्पणी दी है,कृपया आयोजन के अंतिम पृष्ठों में तलाश करें ।

जी, कबीर जी धन्यवाद, मुझे O.B.O. आपरेट करना सीखने में समय लगेगा, कमेंट करता हूँ वह अन्यत्र स्थान पर पोस्ट हो जाता है, पेज खोलना भी नहीं आ रहा है।

धीरे धीरे सब सीख जाएंगे,कोई परेशानी हो तो बताइयेगा ।

सर मुझे कई दिनों से नोटिफिकेशन नहीं मिल पा रही किसी भी एक्टिविटी की, ब्लॉग एक्टिविटी भी नहीं मिल पा  रही और आज भी यही दिक्कत हो रही 

एक बार आपका  "gmail" "Sync" करके देख लीजिए , हो सकता उससे आपका काम हो जाए ।

सर इस बार तरही मिसरा 105 में जो मिसरा दिया गया है उसकी तक्ति मुझसे नहीं हो पा रही कृपया तक्ति करके समझाने का कष्ट kren

"जि1/न्हें/1  इं2/साँ/2     न/1हीं/1 कह/1ते/2     उ/1न्हें/1 इं/2साँ/2    कर/2 दें/2 "

1122(2122)      1122     1122   22

विशेष: 

१. पहला रुक्न फाइलातुनको  फइलातुन अर्थात २१२२  को ११२२भी किया जा सकता है 

राणा साहब रिप्लाई देने का बहुत बहुत शुक्रिया, जिन्हे 11,उन्हें 11 में ले सकते है? उन्हें और जिन्हे का मात्रा भार तो 12 में आता है और मेरी जानकारी के अनुसार न्हें को 1में नहीं लिया जा सकता, अगर मैं गलत समझा हूँ तो मुझे सही कर दीजिये

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
44 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
45 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service