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पुस्तक समीक्षा Discussions (112)

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एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)

हाल ही में मैंने ‘बर्डमैन’ फ़िल्म देखी। इस फ़िल्म को इस बार चार विधाओं में आस्कर दिया गया है। इस फ़िल्म में एक संवाद था जिसे मैं भूल नहीं पाता…

Started by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

10 Aug 20, 2015
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

सदस्य टीम प्रबंधन

खुशबू सीली गलियों की - सीमा अग्रवाल // --सौरभ

सीमा अग्रवाल के गीत अपने पीछे एक ’गीति-अनुगूँज’ छोड़ते जाते हैं ============================================= ज़रा सुन लूँ वो अनहद / बज रहा ज…

Started by Saurabh Pandey

0 Jul 29, 2015

सदस्य टीम प्रबंधन

सुनो मुझे भी – जगदीश पंकज // --सौरभ

सकारात्मक एवं स्पष्ट वैचारिकता निस्संदेह परिष्कृत अनुभवों की समानुपाती हुआ करती है. इसी क्रम में कहें तो किसी व्यक्ति की सोद्येश्य तार्किकत…

Started by Saurabh Pandey

2 Jul 28, 2015
Reply by Saurabh Pandey

सदस्य टीम प्रबंधन

महेन्द्र भटनागर के नवगीत - दृष्टि और सृष्टि // --सौरभ

महेन्द्रजी की कविताओं में जीवन के प्रति असीम राग है. ==================================== छः दशकों के काल-खण्ड में क्रियाशील व्यक्ति की रचन…

Started by Saurabh Pandey

4 Jun 29, 2015
Reply by Saurabh Pandey

सदस्य टीम प्रबंधन

शब्द गठरिया बाँध : अरुण कुमार निगम // --सौरभ

पद्य-साहित्य के इतिहास में कई बार यह समय आया है जब रचनाओं में कथ्य के तथ्य प्रभावी नहीं रह गये. रचनाओं से ’क्यों कहा’ गायब होने लगा और ’कैस…

Started by Saurabh Pandey

2 Jun 18, 2015
Reply by rajesh kumari

‘सृष्टि पर पहरा’ काव्य-संकलन के आइने में केदारनाथ सिंह- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                          ‘सृष्टि पर पहरा’ कवि एवं आलोचक केदारनाथ सिंह का आठवाँ काव्य-संग्रह है i इसकी पह्ली कविता ‘सूर्य 2011’ में कवि सूर…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

4 Apr 27, 2015
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

लेखक की आत्मा- अर्चना ठाकुर (पुस्तक समीक्षा)

  वर्तमान में जब  दलित विर्मश या स्त्री विर्मश आज के कथाकारों की कहानियों का केन्द्र बिंदु  होता है वही अर्चना ठाकुर जी किसी भी विचार धाराओ…

Started by MAHIMA SHREE

1 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य कार्यकारिणी

तेरे नाम का लिये आसरा - अनुभव एवं काव्य प्रतिभा का संग्रहणीय संकलन

हमेशा से मेरा ये मानना है कि ज़िन्दगी मुसलसल हर सांस के साथ फ़ना होती है और हर सांस के साथ शुरू । किसी काम के करने का मुनासिब वक्त कौन सा ह…

Started by शिज्जु "शकूर"

4 Apr 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

नवीन सम्भावना के अन्यतम पर्याय :: राहुल देव - डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव

                                                       हिन्दी के नवोदित कवि एवं कथाकार राहुल देव (ज0 1988 -   )का प्रथम कथा-संग्रह “अनाहत ए…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

7 Apr 18, 2015
Reply by Saurabh Pandey

सदस्य कार्यकारिणी

नारी संवेदनाओं की अनूठी अभिव्यक्ति है – बंजारन

नारी संवेदनाओं की अनूठी अभिव्यक्ति है – बंजारन डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव ******************** नारी पीड़ा को हिंदी साहित्य में अनेक कवियों…

Started by sharadindu mukerji

0 Oct 27, 2014

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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
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"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
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