Sort by:
Discussions | Replies | Latest Activity |
---|---|---|
एक कवि की दृष्टि से – अकुलाहटें मेरे मन की (महिमा श्री)हाल ही में मैंने ‘बर्डमैन’ फ़िल्म देखी। इस फ़िल्म को इस बार चार विधाओं में आस्कर दिया गया है। इस फ़िल्म में एक संवाद था जिसे मैं भूल नहीं पाता… Started by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
10 |
Aug 20, 2015 Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह |
सदस्य टीम प्रबंधन खुशबू सीली गलियों की - सीमा अग्रवाल // --सौरभसीमा अग्रवाल के गीत अपने पीछे एक ’गीति-अनुगूँज’ छोड़ते जाते हैं ============================================= ज़रा सुन लूँ वो अनहद / बज रहा ज… Started by Saurabh Pandey |
0 | Jul 29, 2015 |
सदस्य टीम प्रबंधन सुनो मुझे भी – जगदीश पंकज // --सौरभसकारात्मक एवं स्पष्ट वैचारिकता निस्संदेह परिष्कृत अनुभवों की समानुपाती हुआ करती है. इसी क्रम में कहें तो किसी व्यक्ति की सोद्येश्य तार्किकत… Started by Saurabh Pandey |
2 |
Jul 28, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन महेन्द्र भटनागर के नवगीत - दृष्टि और सृष्टि // --सौरभमहेन्द्रजी की कविताओं में जीवन के प्रति असीम राग है. ==================================== छः दशकों के काल-खण्ड में क्रियाशील व्यक्ति की रचन… Started by Saurabh Pandey |
4 |
Jun 29, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन शब्द गठरिया बाँध : अरुण कुमार निगम // --सौरभपद्य-साहित्य के इतिहास में कई बार यह समय आया है जब रचनाओं में कथ्य के तथ्य प्रभावी नहीं रह गये. रचनाओं से ’क्यों कहा’ गायब होने लगा और ’कैस… Started by Saurabh Pandey |
2 |
Jun 18, 2015 Reply by rajesh kumari |
‘सृष्टि पर पहरा’ काव्य-संकलन के आइने में केदारनाथ सिंह- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव‘सृष्टि पर पहरा’ कवि एवं आलोचक केदारनाथ सिंह का आठवाँ काव्य-संग्रह है i इसकी पह्ली कविता ‘सूर्य 2011’ में कवि सूर… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
4 |
Apr 27, 2015 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
लेखक की आत्मा- अर्चना ठाकुर (पुस्तक समीक्षा)वर्तमान में जब दलित विर्मश या स्त्री विर्मश आज के कथाकारों की कहानियों का केन्द्र बिंदु होता है वही अर्चना ठाकुर जी किसी भी विचार धाराओ… Started by MAHIMA SHREE |
1 |
Apr 26, 2015 Reply by मिथिलेश वामनकर |
सदस्य कार्यकारिणी तेरे नाम का लिये आसरा - अनुभव एवं काव्य प्रतिभा का संग्रहणीय संकलनहमेशा से मेरा ये मानना है कि ज़िन्दगी मुसलसल हर सांस के साथ फ़ना होती है और हर सांस के साथ शुरू । किसी काम के करने का मुनासिब वक्त कौन सा ह… Started by शिज्जु "शकूर" |
4 |
Apr 23, 2015 Reply by मिथिलेश वामनकर |
नवीन सम्भावना के अन्यतम पर्याय :: राहुल देव - डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तवहिन्दी के नवोदित कवि एवं कथाकार राहुल देव (ज0 1988 - )का प्रथम कथा-संग्रह “अनाहत ए… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
7 |
Apr 18, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य कार्यकारिणी नारी संवेदनाओं की अनूठी अभिव्यक्ति है – बंजारननारी संवेदनाओं की अनूठी अभिव्यक्ति है – बंजारन डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव ******************** नारी पीड़ा को हिंदी साहित्य में अनेक कवियों… Started by sharadindu mukerji |
0 | Oct 27, 2014 |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |