निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे
छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो ,
पिया से मिले के बावे ,
छोडे के नईहर..............
काँच ही बास के डोलिया बनल बा ,
उपरा से लाली रंग चुनरी लॅगल बा ,
मोलायम बिछावन गुलगुल सिरहानि,
गुलगुल सिरहानि, रामा, गुलगुल सिरहानि,
दुवारे कहार बाड़े तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..............
बाबू रोवे ले माई रोवेली,
भाई रोवे ले भौजी रोवेली ,
गऊवां के सभे सखिया रोवेली,
सखिया रोवेली,रामा,सखिया रोवेली,
बिलखि रोवे लईकाई के यार हो ,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..................
पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे
छोडे के नैहर..................
छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो,
पिया से मिले के बावे,
छोडे के नैहर..................
हमार पिछुलका पोस्ट => भोजपुरी लघु कथा :- चुनाव के बात अलग होला
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वोह !!!!! लग रहा है मैं यह निर्गुण लिखने में असफल हो गया हूँ :-( अथवा आप बिना पढ़े टिप्पणी की है |
आदरणीय बागी जी सादर, जिसको ये समझ में आएगा उसका रोम रोम सिहर जायेगा, मृत्यु की सत्यता का अक्षुण्य वर्णन.
पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई, ...................बस "राम नाम" सत्य है.
अद्बुत, अद्बुत.
बहुत बहुत आभार भाई राकेश जी, रौआ गीत के आत्मा तक पहुचनी ह |
गणेश, माफ़ी चाहती हूँ. भोजपुरी भाषा का अधिक ज्ञान न होने के करण मुझे टिप्पणी नहीं करनी चाहिये थी :(
ऐसा नहीं है शन्नो दी, दरअसल "निर्गुण" विधा में अंतिम सत्य को रेखित करती रचनाएँ ही लिखी जाती है |
गणेश, अब मैंने पूरा अर्थ समझा आपके यहाँ लिखे कमेंट्स से और रचना दोबारा पढ़कर. धन्यबाद.
एक दिन आत्मा का परमात्मा से मिलन होना है..और उस लोक में सभी को जाना है. अच्छे कर्म ही
साथ जाते हैं...
पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे
छोडे के नैहर.................. आदरणीय गणेश सर सादर नमन, जीवन के शाश्वत सत्य को इस गीत में बखूबी चित्रण किया है आपने , संवेदना से यथार्थ तक पहुंचाने वाले गीत के लिए आप अपने अनुज से हृदय से बधाई स्वीकार करें. सादर
स्वीकार है अनुज , स्वीकार है , इस सराहना हेतु आभार |
आदरणीय अग्रज सादर अभिवादन ,,,बहुत अच्छी निर्गुण काव्य प्रस्तुति ,,सादर
अश्वनी जी, सराहना हेतु आभार |
ई दुनिया मोरे बाबुल का घर वो दुनिया ससुराल !
आदरणीय श्री बागी जी, आपने भोजपुरी में निर्गुण प्रस्तुत कर भोजपुरी को एक उच्च मंच प्रदान करने की कोशिश की है. भोजपुरी जैसे आंचलिक शब्दों के प्रयोग से हिंदी भाषा और भी समृद्ध होगी ऐसा मेरा मानना है!
आदरणीय श्री जवाहर लाल जी, आप बिलकुल सही कह रहे है, मैं कोशिश करता हूँ की हिंदी रचनाओं में भी आंचलिक शब्दों का प्रयोग करू, वैसे मैंने भोजपुरी हाइकु, भोजपुरी घनाक्षरी और भोजपुरी कह मुकरी लेखन का भी प्रयोग कर चूका हूँ जिसे गुनी जनों ने सराहा भी है, सराहना हेतु आपका कोटिश: आभार |
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