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अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "पांचवा कड़ी"पांचवा कड़ी . पंडित जी देवव्रतबाबू के साथ मंदिर में पूजा कईला के बाद कहले जजमान अब कवनो प्रकार के बाधा न रह गईल, अब राउआ आराम से चली लोग छे… Started by Rash Bihari Ravi |
0 | Sep 14, 2011 |
अइसन बुझात बाजनलो -चिन्ह्लको लोग आज कतरात बा I दिन आपन लद गइल अइसन बुझात बा I दिन -रात पाछे -पाछे काल्ह तक जे लागल रहे I उहो आज हमरा के देखिके परात बा… Started by satish mapatpuri |
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Sep 9, 2011 Reply by satish mapatpuri |
अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "चउथका कड़ी""तिसरका कड़ी" इहवाँ क्लिक करीं चउथकी कड़ी . देवव्रतबाबू के दुआर पर अब्दुलमियाँ आउर उनकरा संगे चार पाँच आदमी बइठल रहन. पंडितजी पतरा निकाल… Started by Rash Bihari Ravi |
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Sep 8, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी लघु कथा :- धोबी के बकरारज्जू रजक के जवान खस्सी (बकरा) गाँव के मनबढ़ूवन के आँख के किरकिरी बन गइल रहे, जब खस्सी पर नजर जाए तब जीभ लपलपा जात रहे, सांझ के संतोष पांडे… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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Sep 8, 2011 Reply by Brij bhushan choubey |
अब त बाबू इंजीयर बा (हमार पहिला भोजपुरी कहानी) भाग-१परसिद्धन के दुआरे लोगन क भीड़ जुटल रहे| खटिया मचिया चौकी कुर्सी कुल पर लोग बईठल रहलं| अंगना में मेहरारू आ लईकी गजाइल रहलीं| प… Started by आशीष यादव |
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Sep 8, 2011 Reply by Brij bhushan choubey |
धरम-अधरम केधरम-अधरम के बात जनि करिह तू I पईसा बनाइह त भईया नाही लड़ीह तू I लूटे के बाटे त मिलिए के रहीह हो I चोर के चोर बाबु कबो ना काहीह तू I जा… Started by Rash Bihari Ravi |
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Sep 2, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
हाय रे राजनीती ,हाय रे राजनीती , तू केतना निचे जाइब , महंगाई तहरा ना लाउकी , केतना के मुआईबा , हाय रे राजनीती ,तू केतना निचे जाइब , आटा चाउर के भाव के छोड… Started by Rash Bihari Ravi |
0 | Aug 27, 2011 |
एकदिन अइसन आई (भोजपुरी कहानी )एकदिन अइसन आई ------बृज भूषण चौबे रामजस के आज एगो मन के मुराद पूरा हो गइल रहे | सुबेरे -सुबे… Started by Brij bhushan choubey |
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Aug 19, 2011 Reply by Dr.Brijesh Kumar Tripathi |
कईसन आजादी इ , हमके ना बुझाइल ,कईसन आजादी इ , हमके ना बुझाइल , बानी आजाद हमार , आखँ भर आइल , पईसा बा लगे बाबु , बोल तोहार बोलेला , पईसा नइखे लगे , टांग ले खिचाइल , बापू… Started by Rash Bihari Ravi |
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Aug 16, 2011 Reply by satish mapatpuri |
अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "तिसरका कड़ी""दुसरकी कड़ी" इहवाँ क्लिक करीं तिसरकी कड़ी . बियाह अबहीं ना करब बोल के विजय घर के भितरी चलि गइलन. तब रघुनाथबाबू कहलन, "नया खून बा, चिंता… Started by Rash Bihari Ravi |
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Aug 14, 2011 Reply by Rash Bihari Ravi |
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