For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मत्त सवैया'

प्रायः ऐसा देखा गया है कि चार चरण से युक्त 'मत्त सवैया' छंद में प्रत्येक पंक्ति  में ३२ मात्राएँ होती हैं जहाँ पर १६, १६ मात्राओं पर यति व् अंत गुरु से होता  है | पंडित राधेश्याम ने इस लोकछंद पर आधारित राधेश्याम रामायण रची थी तब से इसे 'राधेश्यामी छंद' भी कहा जाने लगा है! 

 

कुल चार चरण गुरु अंतहि है, सब महिमा प्रभु की है गाई.

प्रति चरण जहाँ बत्तिस मात्रा, यति सोलह-सोलह पर भाई.

उपछंद समान सवैया का, पदपादाकुलक चरण जोड़े.

कर नमन सदा परमेश्वर को, क्षण भंगुर जीवन दिन थोड़े.. 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

 

उदाहरण :

कर भुवन कला कर करे कला, सज मत्त सवैया अलबेला.

सत्संगति कर ले साधुन की, जग चार दिनों का है मेला.

यह मानुष देही दुर्लभ है, क्यों भूलि परा है संसारा.  

"सब ठाठ पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा"

--जगन्नाथ प्रसाद 'भानु' (छंद प्रभाकर से)

 

पहले तो नत मस्तक होकर-फल चार चढ़ाए चरणों में।
फिर अर्घ्यरूप में अश्रुचार चुपचाप गिराए चरणों में।।
बोले-‘‘कर चुका विवाह तीन फिर भी फल उसका मिला नहीं।
है चौथापन आने वाला हृत्कमल अभी तक खिला नहीं।।

--पंडित राधेश्याम (राधेश्याम रामायण से)

 

Views: 6621

Replies to This Discussion

बहुत अच्छी जानकारी अम्बरीश जी धन्यवाद 

आदरेया सीमाजी के प्रति हार्दिक आभार,

सादर

मत्त सवैया पर लिखी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी इसके नियमों की जानकारी मिली जरूर कुछ लिखने की कोशिश करुँगी बहुत बहुत बधाई आपको अम्बरीश जी 

धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी |

सभी अंचलों में लोक गीतों की अपनी परंपरा रही है. संप्रेषण को सस्वर था सहज बनाने के लिहाज से अंचल विशेष के विद्वान अपने-अपने ढंग से पदों का निर्माण करते रहे हैं. इन पर चर्चा होती चले.  वैसे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस छंद से सम्बन्धित अभी कुछ और तथ्य जानने आवश्यक होंगे. आपके प्रयास को साधुवाद.

सादर

एक बात, जो नये प्रयासकर्ता इन अनुछंदों पर काम करना चाहते हैं और हमसे पूछते हैं, वे पहले स्थापित छंदों पर सम्यक काम करें.

जी सौरभ जी आपने सही कहा  आभार |

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी ! मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार मत्त सवैया उत्तर भारत में एक बहु प्रचलित व अति सरल छंद है जिस पर नाटक खेलने से लेकर महाकाव्य तक रच दिए गए हैं | खासतौर पर ग्रामीण अंचल में तो राघेश्यामी छंद के रूप में तो यह बच्चे-बच्चे की जिह्वा पर है ! अतः मेरे विचार में अन्य स्थापित छंदों के साथ-साथ इस पर भी काम करने में कोई खास हर्ज तो नहीं होना चाहिए क्योंकि अपनी सरलता के कारण यह छंद सार छंद या ललित छंद (छन्न पकैया) की तरह नवोदितों को आकर्षित करेगा | इस छंद से सम्बंधित अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होते ही उसे अविलम्ब प्रस्तुत किया जायेगा | सादर

आदरणीय अम्बरीश जी,

यह छंद मत्त सवैया बहुत सहज सरल लग रहा है, १६-१६ के चार चरण , अंत गुरु, समतुकांत. इस छंद की जानकारी हेतु हार्दिक आभार. 

हार्दिक धन्यवाद आदरेया डॉ० प्राची जी! सत्य कहा आपने ! यह वाकई में अत्यंत सरल है ! सादर

गुरुवर श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, इस प्रकार की जानकारी  आप  इस मंच के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं इसके लिए तहे दिल से हार्दिक आभार |

आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी की बात भी अनुकरणीय है | उन्हें हार्दिक धन्यवाद 

स्वागत है आदरणीय लक्ष्मण जी ! हार्दिक आभार आदरणीय !

वाह अम्बरीश भाई जी........बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने 'मत्त सवैया' यानी 'राधेश्यामी छंद' के बारे में.........
बचपन से रामलीलाओं में सूना करता था ये छंद आज यहाँ वो यादें ताज़ा हो गयी...........

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service