For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार सौवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 अगस्त 2019 दिन शनिवार से 18 अगस्त 2019 दिन रविवार  19 अगस्त 2019 दिन सोमवार तक
 
इस बार के छंद आप पर निर्भर हैं. आप अपनी रचना के छंद का सूत्रवत विधान अवश्य लिखें. 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.    

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 

17 अगस्त 2019 दिन शनिवार से 18 अगस्त 2019 दिन रविवार 19 अगस्त 2019 दिन सोमवार तक, यानी दो तीन दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8657

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदाब। शतकीय छंदोत्सव में चित्राधारित समस्त कोणों पर बेहतरीन आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहिब।

आल्हा छन्द - (16,15 मात्राओं पर यति, गुरु-लघु से सम चरण का अंत हो। विषयानुरूप अतिश्योक्ति)

मन के बाल सरोवर में अब, रहती है कागज की नाव।

वर्तमान के विषम थपेड़े, सहती है कागज की नाव।।

सराबोर बारिश में होता, बचपन था कितना मासूम।

उछल-कूद वह धमाचौकड़ी, छइँछपाक मस्ती की धूम।।

उन्हीं दिनों की कथा-कहानी, कहती है कागज की नाव…

रेनकोट छाता-छतरी से, रहता था बचपन अनजान।

संग हुआ करते थे केवल, गाँव-गली के मित्र-मितान।।

मधुर-मधुर उन स्मृतियों में अब, दहती है कागज की नाव…

गलियों में पानी के रेले, दिखलाते थे अपना ताव।

उन रेलों पर नन्हें बच्चे, रखते थे कागज की नाव।।

और देखते दूर कहाँ तक, बहती है कागज की नाव…

रेनकोट में सिमटे बच्चे, गलियों पर पसरा कंक्रीट।

दिखते नहीं झुंड बच्चों के, खेल रहे जो ताली पीट।।

अगर चाहते लौटे बचपन, महती है कागज की नाव…

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय अरुण निगम जी सादर 

       

मन के बाल सरोवर में अब, रहती है कागज की नाव।

वर्तमान के विषम थपेड़े, सहती है कागज की नाव।।  वाह बहुत खूब आदरणीय 

आपकी लेखनी को नमन आदरणीय 

सत्यनरायण सिंह जी आकर, लुटा गए हैं अपना प्यार।

हाथ जोड़ कर भ्राता श्री का, अरुण प्रकट करता आभार।।

गलियों में पानी का रेला, चलता दिखता देखो आज

नहर बनी ये इतनी गहरी, नाव बनाएँ तज हर काज

अरुण कहें  पूरा गलियों में, पानी का अब लगे बहाव

सब बन जाओ नाविक बच्चो, ले आओ कागज की नाव।

जय-जय

प्रत्युत्तर में राणा जी का, अद्भुत अनुपम आल्हा छन्द।

सौवें आयोजन की गरिमा, ऐसे में देती आनन्द।।

भाव-घटा उमड़े जब मन में, छन्द-नदी तब करे हिलोर।

रस-वर्षा में भीगने वाला, हो जाता तब भाव विभोर।।

आभार, आदरणीय सतविंद्र कुमार राणा जी....

बचपन की हर बात निराली, कहती है कागज की नाव 

अरुण निगम के मन को लेकर, बहती है कागज की नाव 

कथा-व्यथा-गाथा कितनी ही अकसर रह-रह आती याद 

आँखों की कोरों के बादल तभी सुलग होते आबाद 

फिर कितने ही भाव लिए चुप रहती है कागज की नाव 

वाह-वाह .. आदरणीय अरुण निगमजी.. 

काश आपकी उपस्थिति नियमित हो जाती।

सौवें आयोजन में उपस्थिति का सादर धन्यवाद 

रेनकोट में सिमटे बच्चे, गलियों पर पसरा कंक्रीट।

दिखते नहीं झुंड बच्चों के, खेल रहे जो ताली पीट।।.........वाह ! सुंदर मार्मिक भाव लिए बच्चों से छिनते बचपन पर वीर छंद आधारित गीत का सुंदर बंद हुआ है. 

ओढ़ समय की बरसाती अब, होती हर दिन भागमभाग ।

सूर्योदय से भी पहले नित, बच्चे जाते हैं सब  जाग ।।

बचे कहाँ हैं वृक्ष जहाँ पर, दें सावन के झूले डाल ।

बारिश गर्मी सर्दी सब हैं, मौसम जिनसे बनता साल ।।

बचपन से अब दूर-दूर ही, रहती है कागज़ की नाव... 

आदरणीय अरुण कुमार निगम साहब सादर नमस्कार, प्रदत्त चित्र को  आल्हा छंद के माध्यम से कल और आज के बचपन में आये अंतर को दर्शाते हुए सुन्दरता से परिभाषित किया है. इस सुंदर प्रस्तुति पर बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर. 

आदरणीय अरुण भाईजी

चित्र देख आल्हा लिख डाले, डाल दिए शब्दों में जान।

खूब चली कागज की नैया। खूब आपने किया बखान॥

हृदयतल से बधाई इस प्रस्तुति पर

 

 वाह...कागज की नाव के माध्यम से आज के बचपन की विषमताओं को बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने आदरणीय अरुण जी। हार्दिक बधाई आपको

आ. भाई अरुण जी, सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

सदैव की भाति आपकी रचना बहुत ही खुबसूरत और चित्र को परिभाषित करते  हुए बन पड़ी है, दिल से बधाई देता हूँ आदरणीय अरुण भाई साहब.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service