For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय  साथियों, 
"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता के अंक 20 में निम्नलिखित प्रविष्टियाँ प्रतियोगिता हेतु प्राप्त हुईं:
 
1. श्री आलोक सीतापुरी जी का कुंडलिया छंद
2. श्री अशोक कुमार रक्ताले जी द्वारा रचित विधाता छंद,  डमरू एवं कृपाण  घनाक्षरी छंद (3 प्रविष्टियाँ) 
3. श्री लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी द्वारा रचित दोहावली (3 प्रविष्टियाँ)
4. डॉ ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी द्वारा रचित कुंडलिया छंद
5. श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी द्वारा रचित दोहावली एवं कुंडलिया छंद (2 प्रविष्टियाँ)
6. श्री अरुण कुमार निगम जी द्वारा रचित मदिरा/दुर्मिल सवय्या
7. श्री कुमार अजीतेंदु द्वारा रचित कुंडलिया एवं घनाक्षरी छंद
8. श्री लतीफ़ खान द्वारा रचित दोहावली

इस बार मंच संचालक आदरणीय भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी द्वारा शिल्प एवं व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध रचनायों को चिन्हित कर एक बहुत ही महती कार्य किया गया जिस से निर्णय देने में बहुत आसानी हो गई। उपरोक्त 8 प्रविष्टियों में से निम्नलिखित दो प्रविष्टियाँ  निर्दोष पाई गईं,

1. श्री आलोक सीतापुरी जी का कुंडलिया छंद
2. श्री अशोक कुमार रक्ताले जी द्वारा रचित  डमरू घनाक्षरी छंद  

श्री अलोक सीतापुरी जी तथा  श्री अशोक कुमार रक्ताले जी के छंद बिला शुबा शिल्प और कथ्य की दृष्टि से उत्तम रहे किन्तु प्रदत्त चित्र की आत्मा तक पहुंचने में सफल नही हुए।  श्री अरुण कुमार निगम जी द्वारा रचित मदिरा/दुर्मिल सवय्या चित्र को परिभाषित करने में काफी हद तक सफल रहा किन्तु छंद का नाम सही न देने की वजह से वह भी इनामी दौड़ से स्वत: बाहर हो गया। मंच संचालक महोदय का दोहा चित्र को पहले ही निम्नलिखित दोहे के माध्यम से भली-भांति परिभषित कर गया था:

दोहन अंधाधुंध है, फिर भी सोये लोक.
भूजल नीचे जा रहा, रोक सके तो रोक..   

किन्तु आयोजन की अधिकतर रचनाएँ  केवल पानी के इर्द गिर्द ही घूमती रहीं, जिस कारण रचनाएँ चित्र की आत्मा तक पहुँचने में सफल नहीं हुईं, अत: इस बार किसी भी रचना को पुरस्कृत नहीं किया जा रहा है।  आशा करता हूँ कि अगली बार रचनाकार और ज्यादा जोश के  साथ आयोजन में हिस्सा लेंगे,

सादर।

योगराज प्रभाकर 

प्रधान संपादक 

ओपन बुक्स ऑनलाइन 

Views: 1174

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय, इस पारदर्शी निर्णय प्रणाली का हार्दिक स्वागत है। किसी भी प्रविष्टि का पुरुस्कृत न हो पाना निराश ज़रूर कर रहा है, पर यह भी ज़रूरी है, ताकि अगली बार और अच्छा लिखा जाए। त्रुटियों को समझ कर उन्हें उन्नति का सोपान बनाया जा सकता है।

शुभेच्छाएँ .

आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय, आप द्वारा हुई इस उद्घोष्णा से निराशा तो हुई है, किन्तु, उचित कारण का दिया जाना परम संतोष भी दे रहा है कि समर्थ पाँवों चल रहा यह मंच डाइवर्सन पर नहीं जा रहा.

जैसा कि आपने उद्धृत किया है, मुझे आदरणीय अरुण कुमार निगम जी की रचना के लिये हार्दिक संवेदना है.

इस बार की आयोजन-सह-प्रतियोगिता कई लिहाज से भिन्न रही है जिसमें से एक लिहाज तो कई अत्यंत रेगुलर सदस्यों की अनुपस्थिति भी रही है.  कारण कुछ भी हों कुछ की ऐसी असंपृक्तता अव्याख्य है.

सादर

इस बार की प्रतियोगिता के वक़्त ही लग रहा था की प्रविष्टियाँ बहुत कम आई थी प्रविष्टियों में त्रुटियों को चिन्हित करने से  निर्णय लेने में  काफी पारदर्शिता आ गई जिससे सभी प्रतियोगी संतुष्ट भी होंगे अरुण जी और अशोक रक्ताले जी की रचनाओं से लग रहा था की कोई न कोई स्थान हासिल करेंगी वो कारण  भी आपने स्पष्ट कर दिया अब सभी अगली प्रतियोगिता में कमर कस  के आयेंगे  ऐसा विशवास है अग्रिम शुभ कामनाएं और योगराज जी इस घोषणा के लिए आपका आभार 

बिलकुल तर्कपूर्ण एवेम उचित निर्णय, क्योकि -

1.एक तो इस समयाभाव के कारण कुछ प्रबुद्ध काव्य शिल्पियों द्वारा भाग नहीं लिया गया।
2.अधिकान्न्श प्रतिभागियों द्वारा व्याकरण की द्रष्टि से अशुद्धिया छोड़ दी गयी, जिन्हें यदि हटा दे तो,
3.शेष नगन्न्य प्रविष्टियाँ ही रह जाती है । 
आशा है अगली बार रचनाकार और ज्यादा जोश के  साथ आयोजन में हिस्सा लेंगे, और सार्थक प्रयास करेंगे 

बिल्कुल सही निर्णय लिया गया है। विस्तृत कारण देकर प्रबंधन ने ये साबित कर दिया है कि  यहाँ कोई भी निर्णय बेसिरपैर नहीं होता। इसके लिए ओबीओ प्रबंधन को बहुत बहुत बधाई।

सदैव के भांति सटीक निर्णय

निर्णायक मंडल बधाई पात्र है

आपका निर्णय सही है.

आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय,

                                          सादर,चाह नहीं मैं सुरबाला के,

                                                   गहनों में गूँथा जाऊँ,

                                                   चाह नहीं, देवों के सिर पर,
                                                चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ.

                                                आपका सही निर्णय. इस बार कम रचनाओं कि प्रविष्टि से मुझे व्यक्तिगत तौर पर निराशा हुई.अधिक और उन्नत  रचनाएँ लेखन को नए आयाम देती हैं जिससे मै वंचित रहा. आपकी अनुपस्थिति पूरे समय खलती रही. आदरणीय अरुण निगम जी द्वारा सवैया गलत नाम से प्रस्तुत करना उनका ऐसी गलती का शायद प्रथम और अंतिम अवसर होगा. ऐसा मुझे लगता है. मेरी रचना का शिल्प पर खरा उतरना ही मेरे लिए व्यक्तिगततौर पर बहुत बड़ी उपलब्धि है. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service