आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सत्तावनवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 15 जनवरी 2016 दिन शुक्रवार से 16 जनवरी 2016 दिन शनिवार तक
इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - चौपाई छन्द और सार छन्द.
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन दोनों छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है.
इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
चौपाई छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने केलिए यहाँ क्लिक करें
[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15जनवरी 2016 दिन से 16 जनवरी 2016 दिन यानि दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आ० प्रतिभा जी , क्या सुन्दर गीत रचा आपने . आपको हृदय से बधाई . बस- 'प्यार वो भीना भीना' में 13 मात्राएँ हैं ---दिल में कहीं बसा अपनों का प्यार सुवासित भीना
आपके स्नेहिल उत्साह वर्धन व् मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर
बढ़ती गाड़ी के पहियों का
छुक छुक एक तराना
जाति धर्म का भेद हटा दे
गर विकास पथ जाना
देश धर्म से बडा नहीं है ,काशी और मदीना
बैठी गाड़ी में मुस्काती ,राधा और सकीना..............सुंदर सन्देश देता है यह अंतिम अंतरा.
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर बहुत सटीक और सुंदर मन मुग्ध करता गीत रचा है, बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.
रचना पर अपना समय देकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हृदयतल से आभार आदरणीय रक्ताले जी
आपका हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी
सुन्दर संदेश देती रचना। राधा और सकीना। तहे दिल से बहुत सारी बधाई स्वीकार करें। माननीय दीदी प्रतिभा जी।
छन्न पकैया , छ न्न पकैया ,बेटी कम ना लागे ।
देश की रक्षा के हित वो भी , होती सबसे आगे।।
छन्न पकैया , छ न्न पकैया ,निकली थी जब घर से।
चूड़ी बिंदिया ओर न कंगन,बांधे कफन को सर से।।
छन्न पकैया , छ न्न पकैया , समझे वो ना डर में ।
छोड़े सारे सपने चल दी , बंदूक लेकर कर में ।।
छन्न पकैया , छ न्न पकैया , देखो सीना ताने।
सीमा पार का है जो संकट , उसका लोहा माने ।।
''मौलिक व अप्रकाशित ''
माननीय उस्मानी जी बहुत -बहुत आभार। कमियों की और ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।
आदरणीय सतविंदर कुमार जी बहुत -बहुत आभार
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