आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार साठवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 15 अप्रैल 2016 दिन शुक्रवार से 16 अप्रैल 2016 दिन शनिवार तक
इस बार गत अंक में से तीन छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द और कुण्डलिया छन्द
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है.
इन छन्दों में से दोहा छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
[प्रस्तुत चित्र सौरभ पाण्डेय से प्राप्त हुआ है]
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 अप्रैल 2016 दिन शुक्रवार से 16 अप्रैल 2016 दिन शनिवार यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
आदरणीय गोपाल भाईजी
लिखना सार्थक हो गया। रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार ।
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी वाह! बहूत सुंदर दोहे है आपके. सिखने के क्रम मे आपके दोहे मुझे बडे काम आएगे.अंतिम दोहे तो पूरा चित्र सार्थक कर दिया. बधाई आपको
आदरणीया नयनाजी
रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया। रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार ।
सुंदर और सार्थक दोहें रचे है आदरणीय
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
लिखना सार्थक हो गया। रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार ।
साँसे जब तक साथ दे, तब तक है संघर्ष।
खोने को कुछ है नहीं, इसी बात का हर्ष॥.........सुंदर दोहा.
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर सभी दोहे बहुत सुंदर और सार्थक रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. प्रथम दोहे के तीसरे चरण में सुधार की आवश्यता है. अधिक परिश्रम दाम कम ........सादर.
आदरणीय अशोक भाईजी
लिखना सार्थक हो गया। रचना की प्रशंसा और सलाह के लिए हृदय से धन्यवाद आभार ।
आ0 भाई अखिलेश जी अति उत्तम दोहे हुए हैं । बहुत बहुत बधाई ।
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार
आ. अखिलेश जी सादर,
साँसे जब तक साथ दे, तब तक है संघर्ष।
खोने को कुछ है नहीं, इसी बात का हर्ष॥........ सुंदर अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई आदरणीय
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार
जनाब अखिलेश कृष्ण साहिब , प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते दोहों के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आवश्यक सूचना:-
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